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लडकों को पकडकर जबरन शादी हैं "पक़ड ब्याह"

पटना। बिहार में परंपरागत ढंग से रिश्ता तय कर विवाह किए जाने के अलावा कहीं-कहीं शादी के लिए युवकों का अपहरण भी किया जाता है। ऎसी घटनाएं शादी-ब्याह के मौसम में और बढ़ जाती हैं। इस विवाह को लोग "पक़ड ब्याह" कहते हैं।
पक़ड ब्याह हालांकि अपराध की श्रेणी में आता है, इसलिए पुलिस महकमे में ऎसे विवाहों का ब्योरा दर्ज है।
पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंक़डों के मुताबिक, पिछले वर्ष 2,526 अविवाहित युवकों का अपहरण कर जबरन शादी कराया गया था। ऎसी घटनाएं राज्य के मुंगेर, गया, नवादा, नालंदा, जहानाबाद, नवगछिया, पटना जैसे क्षेत्रों में अधिक होती हैं। पुलिस मुख्यालय में दर्ज आंक़डे बताते हैं कि इस वर्ष भी अब तक 50 से ज्यादा युवकों का पक़ड ब्याह हो चुका है।
सूत्र बताते हैं कि पढ़े-लिखे ल़डके तथा खाते-पीते परिवार से संबंधित अविवाहित युवकों का ल़डकी वाले अपहरण कर लेते हैं और इनका जबरन विवाह करा दिया जाता है। इस तरह का विवाह भले ही अपराध हो, लेकिन ल़डकी वालों को फायदा यह है कि वे दहेज की चिंता और मान-मनौवल से मुक्त रहते हैं।
बताया जाता है कि जब शादी की सारी रस्में पूरी हो जाती हैं, तब दूल्हे के परिजनों को खबर दी जाती है और उन्हें आर्शीवाद देने के लिए बुलाया जाता है। इस तरह कीकई शादियां सफल रहती हैं तो कई जो़डों का वैवाहिक जीवन असफल भी हो जाता है। पुलिस मुख्यालय में दर्ज आंक़डों पर गौर करें तो वर्ष 2013 में विवाह के लिए अपहरण के 2,922 मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2012 में 3,007 युवक-युवतियों का उनकी मर्जी के खिलाफ विवाह के लिए अपहरण कर लिया गया था। वर्ष 2011 में यह आंक़डा 2,326 था। राज्य पुलिस मुख्यालय इसे आपराधिक वारदात से ज्यादा सामाजिक समस्या के रूप में देखता है। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय कहते हैं, ""जबरन होने वाली शादियों को भी बाद में सामान्य शादियों की तरह ही सामाजिक मान्यता मिलती रही है।
इसमें पुलिस की भूमिका काफी सीमित है।"" पुलिस विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि ऎसे में ल़डके के परिजन तो अपहरण का मामला थाने में दर्ज करवाते हैं, लेकिन जब पता चलता है कि विवाह के लिए अगवा किया गया है तो कार्रवाई में ढिलाई दे दी जाती है, क्योंकि किसी ल़डकी का विवाह तो नेक काम है। कई मामले की जांच होते-होते दोनों पक्ष समझौता कर चुके होते हैं। ऎसे में पुलिस के पास भी बहुत कुछ करने के लिए नहीं होता। बिहार में इस तरह के विवाह का इतिहास काफी पुराना है।
नालंदा जिले के एक बुजुर्ग रामकिशोर सिंह का विवाह भी आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व अपहण कर ही हुआ था। वह कहते हैं कि पक़ड ब्याह काफी पहले से चला आ रहा है। ऎसे विवाह में न दहेज की चिंता होती है और न ही ज्यादा खर्च की। पक़ड ब्याह का शिकार हुए नवादा निवासी संतोष कुमार फिल्म अभिनेता आमिर खान के टीवी शो "सत्यमेव जयते" तथा अमिताभ बच्चन के शो "कौन बनेगा करो़डपति" में भी आ चुके हैं। शो के दौरान संतोष ने आमिर खान को बताया था कि उनकी शादी जबरन कर दी गई थी, लेकिन आज वे बहुत खुश हैं और उन्हें अपनी पत्नी पर गर्व है।
पटना विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर भारती एस कुमार इस मसले पर कहती हैं कि "पक़ड ब्याह" का प्रचलन मुख्य रूप से उत्तर बिहार में है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि अभिभावक तो अपनी ल़डकियों का विवाह इस तरह से विवाह अपने सिर से बोझ उतार लेते हैं, लेकिन इस बेमेल विवाह का नकारात्मक प्रभाव पति-पत्नी पर जीवनभर प़डता देखने को मिलता है। जबरन विवाह वाले दंपति के परिवार का संतुलित विकास भी नहीं हो पाता। ल़डकी को जीवनभर ताना सुनना प़डता है। उन्होंने माना कि अभिभावक का दहेज जुटाने में असमर्थ होना ऎसी घटनाओं का मुख्य कारण है।
(IANS)
पुलिस मुख्यालय से प्राप्त आंक़डों के मुताबिक, पिछले वर्ष 2,526 अविवाहित युवकों का अपहरण कर जबरन शादी कराया गया था। ऎसी घटनाएं राज्य के मुंगेर, गया, नवादा, नालंदा, जहानाबाद, नवगछिया, पटना जैसे क्षेत्रों में अधिक होती हैं। पुलिस मुख्यालय में दर्ज आंक़डे बताते हैं कि इस वर्ष भी अब तक 50 से ज्यादा युवकों का पक़ड ब्याह हो चुका है।
सूत्र बताते हैं कि पढ़े-लिखे ल़डके तथा खाते-पीते परिवार से संबंधित अविवाहित युवकों का ल़डकी वाले अपहरण कर लेते हैं और इनका जबरन विवाह करा दिया जाता है। इस तरह का विवाह भले ही अपराध हो, लेकिन ल़डकी वालों को फायदा यह है कि वे दहेज की चिंता और मान-मनौवल से मुक्त रहते हैं।
बताया जाता है कि जब शादी की सारी रस्में पूरी हो जाती हैं, तब दूल्हे के परिजनों को खबर दी जाती है और उन्हें आर्शीवाद देने के लिए बुलाया जाता है। इस तरह कीकई शादियां सफल रहती हैं तो कई जो़डों का वैवाहिक जीवन असफल भी हो जाता है। पुलिस मुख्यालय में दर्ज आंक़डों पर गौर करें तो वर्ष 2013 में विवाह के लिए अपहरण के 2,922 मामले सामने आए थे, जबकि वर्ष 2012 में 3,007 युवक-युवतियों का उनकी मर्जी के खिलाफ विवाह के लिए अपहरण कर लिया गया था। वर्ष 2011 में यह आंक़डा 2,326 था। राज्य पुलिस मुख्यालय इसे आपराधिक वारदात से ज्यादा सामाजिक समस्या के रूप में देखता है। राज्य के अपर पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय कहते हैं, ""जबरन होने वाली शादियों को भी बाद में सामान्य शादियों की तरह ही सामाजिक मान्यता मिलती रही है।
इसमें पुलिस की भूमिका काफी सीमित है।"" पुलिस विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि ऎसे में ल़डके के परिजन तो अपहरण का मामला थाने में दर्ज करवाते हैं, लेकिन जब पता चलता है कि विवाह के लिए अगवा किया गया है तो कार्रवाई में ढिलाई दे दी जाती है, क्योंकि किसी ल़डकी का विवाह तो नेक काम है। कई मामले की जांच होते-होते दोनों पक्ष समझौता कर चुके होते हैं। ऎसे में पुलिस के पास भी बहुत कुछ करने के लिए नहीं होता। बिहार में इस तरह के विवाह का इतिहास काफी पुराना है।
नालंदा जिले के एक बुजुर्ग रामकिशोर सिंह का विवाह भी आज से लगभग 40 वर्ष पूर्व अपहण कर ही हुआ था। वह कहते हैं कि पक़ड ब्याह काफी पहले से चला आ रहा है। ऎसे विवाह में न दहेज की चिंता होती है और न ही ज्यादा खर्च की। पक़ड ब्याह का शिकार हुए नवादा निवासी संतोष कुमार फिल्म अभिनेता आमिर खान के टीवी शो "सत्यमेव जयते" तथा अमिताभ बच्चन के शो "कौन बनेगा करो़डपति" में भी आ चुके हैं। शो के दौरान संतोष ने आमिर खान को बताया था कि उनकी शादी जबरन कर दी गई थी, लेकिन आज वे बहुत खुश हैं और उन्हें अपनी पत्नी पर गर्व है।
पटना विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफेसर भारती एस कुमार इस मसले पर कहती हैं कि "पक़ड ब्याह" का प्रचलन मुख्य रूप से उत्तर बिहार में है। उन्होंने आईएएनएस को बताया कि अभिभावक तो अपनी ल़डकियों का विवाह इस तरह से विवाह अपने सिर से बोझ उतार लेते हैं, लेकिन इस बेमेल विवाह का नकारात्मक प्रभाव पति-पत्नी पर जीवनभर प़डता देखने को मिलता है। जबरन विवाह वाले दंपति के परिवार का संतुलित विकास भी नहीं हो पाता। ल़डकी को जीवनभर ताना सुनना प़डता है। उन्होंने माना कि अभिभावक का दहेज जुटाने में असमर्थ होना ऎसी घटनाओं का मुख्य कारण है।
(IANS)
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