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किसानों के लिए स्वामीनाथन की सिफारिशों से भी बढ़कर काम किया-धनखड़

चण्डीगढ़। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्य में सभी फसलों के मूल्य लाभ के साथ
निर्धारित करने का एक फार्मूला लागू कर किसान हित में स्वामीनाथन आयोग की
रिपोर्ट से भी बढक़र कार्य किया है। खरीफ फसलों के लिए 33 हजार 500 करोड़
रुपये निर्धारित किये गये हैं, जिसमें से 1500 करोड़ रुपये हरियाणा के
किसानों के खातों में जाएगा।
कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मेादी का धन्यवाद व्यक्त करने के लिए गोहाना में 12 अगस्त को आयोजित की जाने वाली किसान धन्यवाद रैली की तैयारियों का जायजा ले रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग रहती थी कि जिस प्रकार से सरकारी कर्मचारियों का वेतन महंगाई भत्ते के साथ बढ़ता है उसी प्रकार से किसानों की फसलों के दाम भी बढऩे चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने कार्यकाल में स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट लागू करने के लिए उनकी अध्यक्षता गठित मुख्यमंत्रियों के कार्य समूह की रिपोर्ट लागू नहीं करवा सके, जिसे तैयार करने की जिम्मेदारी तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने उन्हें सौंपी थी। अब हुड्डा किस मुंह से किसान हित की बात कर रहे है।
उन्होंने कहा कि अब किसानों को उनकी फसलों की लागत पर 50 प्रतिशत लाभ के साथ दाम मिलेगा। यह बहुत बड़ा कार्य किया गया है, जिससे किसानों की आमदनी में विशेष इजाफा होगा। किसानों की जो भी लागत होगी, उसी के अनुरूप लाभ भी मिलेगा। कोई भी सरकार अब इस फार्मूला से पीछे नहीं हट सकती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को आर्थिक आजादी दी है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के कुतर्क को दूर करने का साहसी कार्य किया गया है।
धनखड़ ने कहा कि किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण में छह बातों का ध्यान रखा जाता कि देश में फसलों के भाव क्या है, विदेशों में फसलों के भाव क्या हैं, जो दाम देेंगे उसका अन्य लोगों (खाने वाले आम जन)पर क्या असर पड़ेगा, दूसरी फसलों पर क्या असर पड़ेगा, संबंधित फसल पर निर्भर उद्योगों पर क्या असर पड़ेगा और किसान की लागत क्या आई है। परन्तु अब लाभ का फार्मूला अपनाया गया है। किसानों को लागत पर पचास प्रतिशत लाभ मिलेगा ही मिलेगा।
कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मेादी का धन्यवाद व्यक्त करने के लिए गोहाना में 12 अगस्त को आयोजित की जाने वाली किसान धन्यवाद रैली की तैयारियों का जायजा ले रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों की मांग रहती थी कि जिस प्रकार से सरकारी कर्मचारियों का वेतन महंगाई भत्ते के साथ बढ़ता है उसी प्रकार से किसानों की फसलों के दाम भी बढऩे चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने कार्यकाल में स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट लागू करने के लिए उनकी अध्यक्षता गठित मुख्यमंत्रियों के कार्य समूह की रिपोर्ट लागू नहीं करवा सके, जिसे तैयार करने की जिम्मेदारी तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने उन्हें सौंपी थी। अब हुड्डा किस मुंह से किसान हित की बात कर रहे है।
उन्होंने कहा कि अब किसानों को उनकी फसलों की लागत पर 50 प्रतिशत लाभ के साथ दाम मिलेगा। यह बहुत बड़ा कार्य किया गया है, जिससे किसानों की आमदनी में विशेष इजाफा होगा। किसानों की जो भी लागत होगी, उसी के अनुरूप लाभ भी मिलेगा। कोई भी सरकार अब इस फार्मूला से पीछे नहीं हट सकती। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को आर्थिक आजादी दी है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के कुतर्क को दूर करने का साहसी कार्य किया गया है।
धनखड़ ने कहा कि किसानों की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारण में छह बातों का ध्यान रखा जाता कि देश में फसलों के भाव क्या है, विदेशों में फसलों के भाव क्या हैं, जो दाम देेंगे उसका अन्य लोगों (खाने वाले आम जन)पर क्या असर पड़ेगा, दूसरी फसलों पर क्या असर पड़ेगा, संबंधित फसल पर निर्भर उद्योगों पर क्या असर पड़ेगा और किसान की लागत क्या आई है। परन्तु अब लाभ का फार्मूला अपनाया गया है। किसानों को लागत पर पचास प्रतिशत लाभ मिलेगा ही मिलेगा।
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