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काफी विद कलेक्टर कार्यक्रम की डीएम ने पुनः की शुरूआत
गोंडा। डीएम आशुतोष निरंजन ने अपने कैम्प कार्यालय पर पूर्व में संचालित अभिनव कार्यक्रम ‘‘काफी विद कलेक्टर’’ की
मंगलवार को पुनः औपचारिक शुरूआत कर दी। काफी विद कलेक्टर कार्यक्रम के तीसरे चरण के पहले दिन डीएम ने विकासखण्ड छपिया अन्तर्गत ग्राम पंचायत साबरपुर के ग्राम प्रधान एवं ग्राम स्तरीय अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ
कॉफी पिया और गांव के विकास, कानून व्यवस्था एवं अन्य विषयों पर गहन
परिचर्चा की।
काफी की चुस्कियों के साथ डीएम ने प्रधान के साथ आए अन्य सहयोगियों से कहा कि मैं आपका शिक्षक भी हूं, समीक्षक भी हूं और सहयोगी भी हूं। इसलिए विकास के साथ-साथ अन्य सभी मुद्दों पर खुलेमन से परिचर्चा करिए। उन्होने कहा कि उनके इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गांव के अन्तिम पंक्ति के वर्कर से सीधा संवाद स्थापित कर अधिकारी और कर्मचारी के बीच की संवादहीनता को समाप्त कर विकास कार्यक्रमों को गांव के पात्र एवं अन्तिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहंुचाना है। उन्होने कहा कि गांव का विकास बिना ग्राम प्रधान और ग्राम स्तरीय अधिकारियों कर्मचारियों के बेहतर आपसी तालमेल के सम्भव नहीं है। कार्यक्रम की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि इससे ग्राम प्रधानों व गांव के विकास में सहयोग देने वाले हर छोटे-छोटे से कर्मचारी का मनोबल बढ़ेगा और विकासपरक योजनाओं को धरातल पर लागू करने में मदद मिलेगी। उन्होने ग्राम प्रधान ,बीट कान्सटेबल व लेखपाल को सीख देते हुए कहा कि भले ही वे सब अलग-अलग दिखें परन्तु काम टीम भावना के साथ करें।
उन्होने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से गांव स्तर पर होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाना, विकासपरक योजनाओं को शत-प्रतिशत लागू करना, भूमि विवाद, गावों में रास्ते के विवाद, तालाबों की स्थिति, सड़कों की स्थिति व निर्माण, नाली, खड़न्जे, अवैध कब्जे, चकमार्ग, विद्यालयों, एएनएम सेन्टर, आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति, गांवों की साफ-सफाई, आपसी भाई-चारा, शरारती तत्वों को चिन्हित करना, अवैध शराब बेचने व बनाने वालों को चिन्हांकित कर कार्यवाही करना, गांवों में हो रही प्रत्येक हलचल को प्रशासन तक पहुंचाना और उन पर समय रहते प्रभावी कार्यवाही करना ही उनका मुख्य मकसद है।
काफी की चुस्कियों के साथ डीएम ने प्रधान के साथ आए अन्य सहयोगियों से कहा कि मैं आपका शिक्षक भी हूं, समीक्षक भी हूं और सहयोगी भी हूं। इसलिए विकास के साथ-साथ अन्य सभी मुद्दों पर खुलेमन से परिचर्चा करिए। उन्होने कहा कि उनके इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गांव के अन्तिम पंक्ति के वर्कर से सीधा संवाद स्थापित कर अधिकारी और कर्मचारी के बीच की संवादहीनता को समाप्त कर विकास कार्यक्रमों को गांव के पात्र एवं अन्तिम पंक्ति के व्यक्ति तक पहंुचाना है। उन्होने कहा कि गांव का विकास बिना ग्राम प्रधान और ग्राम स्तरीय अधिकारियों कर्मचारियों के बेहतर आपसी तालमेल के सम्भव नहीं है। कार्यक्रम की उपयोगिता पर चर्चा करते हुए उन्होने कहा कि इससे ग्राम प्रधानों व गांव के विकास में सहयोग देने वाले हर छोटे-छोटे से कर्मचारी का मनोबल बढ़ेगा और विकासपरक योजनाओं को धरातल पर लागू करने में मदद मिलेगी। उन्होने ग्राम प्रधान ,बीट कान्सटेबल व लेखपाल को सीख देते हुए कहा कि भले ही वे सब अलग-अलग दिखें परन्तु काम टीम भावना के साथ करें।
उन्होने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से गांव स्तर पर होने वाले अपराधों पर अंकुश लगाना, विकासपरक योजनाओं को शत-प्रतिशत लागू करना, भूमि विवाद, गावों में रास्ते के विवाद, तालाबों की स्थिति, सड़कों की स्थिति व निर्माण, नाली, खड़न्जे, अवैध कब्जे, चकमार्ग, विद्यालयों, एएनएम सेन्टर, आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति, गांवों की साफ-सफाई, आपसी भाई-चारा, शरारती तत्वों को चिन्हित करना, अवैध शराब बेचने व बनाने वालों को चिन्हांकित कर कार्यवाही करना, गांवों में हो रही प्रत्येक हलचल को प्रशासन तक पहुंचाना और उन पर समय रहते प्रभावी कार्यवाही करना ही उनका मुख्य मकसद है।
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गोंडा
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