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सरकारी और प्राइवेट गौशालाओं को 85.92 करोड़ रुपए दिएः डा. निज्जर

चंडीगढ़। स्थानीय निकाय मंत्री डा. इन्दरबीर सिंह निज्जर ने बताया कि शहरी स्थानीय संस्थाओं ( यूएलबी) ने आवारा पशुओं की देखभाल के लिए लगभग 85.92 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता मुहैया कराई है। वे पंजाब विधानसभा के बजट सैशन में विधायक सरदार दलजीत सिंह ग्रेवाल (भोला) और सरदार गुरप्रीत सिंह बणावाली की तरफ से लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का जवाब दे रहे थे।
निज्जर ने कहाकि राज्य में लगभग 417 प्राइवेट रजिस्टर्ड गौशालाओं में 1.70 लाख आवारा पशु हैं। इनके अलावा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की तरफ से 20 सरकारी केटल पौंडज में 77 केटल शेड बनाए गए हैं, जिनमें लगभग 10,024 आवारा पशु हैं। शहरी स्थानीय संस्थाओं की तरफ से अपने स्तर पर 10 गौशालाएं चलाईं जा रही हैं। इनमें लगभग 3385 के करीब आवारा पशु रखे गए हैं। शहरी सीमा के अंदर घूम रहे आवारा पशुओं को पकड़कर सरकारी/प्राइवेट गौशालाओं में छोड़ा जाता है। पिछले पाँच साल के दौरान लगभग 33575 आवारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में छोड़ा गया है।
डॉ. निज्जर ने कहा कि शहरी स्थानीय संस्थाओं की तरफ से लगभग 185 सरकारी/प्राइवेट गौशालाओं को वित्तीय स्थिति और उपलब्ध काऊ सेस फंडों के मुताबिक 10 से 30 रुपए प्रति पशु प्रति दिन या महीनावार वित्तीय सहायता दी जा रही है। अब तक शहरी स्थानीय संस्थाओं की तरफ से काऊ सेस के तौर पर 183.44 करोड़ रुपए इकठ्ठा किए जा चुके हैं।
निज्जर ने कहाकि राज्य में लगभग 417 प्राइवेट रजिस्टर्ड गौशालाओं में 1.70 लाख आवारा पशु हैं। इनके अलावा ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग की तरफ से 20 सरकारी केटल पौंडज में 77 केटल शेड बनाए गए हैं, जिनमें लगभग 10,024 आवारा पशु हैं। शहरी स्थानीय संस्थाओं की तरफ से अपने स्तर पर 10 गौशालाएं चलाईं जा रही हैं। इनमें लगभग 3385 के करीब आवारा पशु रखे गए हैं। शहरी सीमा के अंदर घूम रहे आवारा पशुओं को पकड़कर सरकारी/प्राइवेट गौशालाओं में छोड़ा जाता है। पिछले पाँच साल के दौरान लगभग 33575 आवारा पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में छोड़ा गया है।
डॉ. निज्जर ने कहा कि शहरी स्थानीय संस्थाओं की तरफ से लगभग 185 सरकारी/प्राइवेट गौशालाओं को वित्तीय स्थिति और उपलब्ध काऊ सेस फंडों के मुताबिक 10 से 30 रुपए प्रति पशु प्रति दिन या महीनावार वित्तीय सहायता दी जा रही है। अब तक शहरी स्थानीय संस्थाओं की तरफ से काऊ सेस के तौर पर 183.44 करोड़ रुपए इकठ्ठा किए जा चुके हैं।
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