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अचानक बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर, आयुर्वेद में लिखे हैं 'साइलेंट किलर' से बचने के उपाय

आयुर्वेद में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के कई उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से काफी हद तक इसपर नियंत्रण पाया जा सकता है। लौकी और तुलसी का जूस इस स्थिति को नियंत्रित करता है। आधा कप लौकी का जूस और उसमें पांच तुलसी की पत्तियां मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करना चाहिए। इसका सेवन कफ और वात दोष को नियंत्रित करता है और दिल और पेट दोनों को ठंडक देता है।
सर्पगंधा की जड़ उच्च रक्तचाप में फायदेमंद होती है। इसके लिए रात में सर्पगंधा की जड़ को भिगोकर रख दें और सुबह उबालकर पी लें। चाहें तो आप बाजार में उपलब्ध चूर्ण का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। ये उच्च रक्तचाप के बढ़ने की गति को नियंत्रित करता है। आंवला और शहद का सेवन भी फायदा देगा। ये दोनों शरीर की रोग प्रति प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। रोज सुबह एक चम्मच आंवले का चूर्ण शहद के साथ खाना चाहिए। ये आपके दिल को ठीक करने का काम करेगा।
इसके अलावा शोधन क्रिया भी कर सकते हैं, जो पूरे शरीर की गंदगी को बाहर निकालने का काम करेगी और कई रोगों से बचाएगी। उच्च रक्तचाप की समस्या में ज्यादा तनाव लेने से बचें। साथ ही सिगरेट, शराब और कैफीन का सेवन न करें। इसमें नींद का पूरा होना भी जरूरी है।
--आईएएनएस
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