उत्तर प्रदेश का कर संग्रह का प्रयास काफी अच्छा :अरविंद पनगढ़िया

लखनऊ में हुई 16वें वित्त आयोग की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए पनगढ़िया ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कर विभाजन के आधार पर उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ सिफारिशें भी की हैं।
पनगढ़िया ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने सुझाव दिया है कि कर विभाजन में जनसांख्यिकीय प्रदर्शन के भार को 12.5 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत, वन और पारिस्थितिकी के लिए भी भार 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत और कर संग्रह के प्रयास का भार 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत किया जाना चाहिए।
16वें वित्त आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। इस मौके पर यूपी सरकार ने आयोग को एक प्रेजेंटेशन भी दिखाया।
वित्त आयोग का गठन केंद्र और राज्यों में करों के बंटवारे को तय करने के लिए हर पांच वर्ष में किया जाता है।
16 वें वित्त आयोग का गठन वित्त वर्ष 2026-27 से लेकर वित्त वर्ष 2030-31 तक केंद्र और राज्यों में करों के बंटवारे को तय करने के लिए किया गया है।
वित्त आयोग ने इससे पहले झारखंड की राजधानी रांची में बैठक की थी।
झारखंड सरकार ने 16वें वित्त आयोग से राज्यों की करों में हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की है। 15वें वित्त आयोग के तहत करों में राज्यों को 41 प्रतिशत हिस्सा दिया जाता है।
16वें वित्त आयोग के चेयरमैन ने बताया कि राज्य ने करों को कैसे बांटा जाए इसके लिए भी सुझाव दिए हैं। राज्य सरकार का कहना है कि करों के 17.5 प्रतिशत हिस्से को जनसंख्या के आधार पर, 15 प्रतिशत हिस्से को क्षेत्र के आधार पर, 50 प्रतिशत हिस्से को प्रति व्यक्ति आय के आधार पर यानी जितनी कम आय हो उतना ज्यादा टैक्स, 12.5 प्रतिशत हिस्से को जंगल के आधार पर, 2.5 प्रतिशत को जीएसटी नुकसान के आधार पर और बाकी 2.5 प्रतिशत इस आधार पर दिया जाना चाहिए कि कौन राज्य कितना प्रयास कर रहा है।
--आईएएनएस
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