उदयपुर की सुबह... और एक दर्दभरी ख़बर, रमेश डामोर की निःशब्द विदाई

तुरंत हरकत में आया राजस्थान नागरिक सुरक्षा विभाग उदयपुर, और वक्त ज़ाया किए बिना उनकी टीम मौके पर रवाना हुई।कौन जानता था कि पानी की लहरों के बीच जो तैर रहा है, वो कोई ज़िंदा इंसान नहीं, बल्कि किसी का बेटा, किसी का भाई, शायद किसी का पिता था...शव बाहर निकाला गया।
पल दो पल को जैसे हर कोई चुप रह गया। झील के किनारे सिर्फ़ लहरों की आवाज़ थी... और कुछ डबडबाई आँखें।गोताखोर नरेश चौधरी, विजय नकवाल, भवानी शंकर वाल्मीकि, और वाहन चालक कैलाश मेनारिया—इनकी टीम ने बेहद संवेदनशीलता के साथ इस कार्य को अंजाम दिया।
पानी से बाहर निकाले गए उस शरीर की शिनाख्त हुई – रमेश डामोर।पता चला वो बांसवाड़ा के खाठवाड़ा, कालका माता रोड का रहने वाला था।रमेश कौन था? क्या करता था? किस हाल में था? ये सब तो अभी भी सवाल हैं…लेकिन जो सच सामने है, वो बस इतना कि अब वो हमारे बीच नहीं रहा।झीलों के शहर में एक और कहानी, जो हमेशा के लिए पानी में समा गई।
कोई तस्दीक करने वाला नहीं, कोई गले लगकर रोने वाला नहीं… शायद कोई मंदिर की सीढ़ियों पर बैठा इंतज़ार करता रह गया हो — पर अब लौटकर कोई नहीं आएगा।उदयपुर की फिज़ा में आज एक अजनबी की चुप्पी घुल गई है।
और पुलिस की फाइलों में दर्ज हो गया — “मृतक: रमेश डामोर”।पर हमारी भावनाओं में दर्ज हुआ — एक गुमनाम दर्द... एक अनकही कहानी।
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