Outsourced recruitment continues despite Himachal High Court ban: Ministers will get 2 social media coordinators each, BJP attacks-m.khaskhabar.com
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Jan 26, 2025 8:07 am
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हिमाचल हाईकोर्ट की रोक के बावजूद आउटसोर्स भर्ती जारी : मंत्रियों को मिलेंगे 2-2 सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर, भाजपा का हमला

khaskhabar.com : शुक्रवार, 29 नवम्बर 2024 12:03 PM (IST)
हिमाचल हाईकोर्ट की रोक के बावजूद आउटसोर्स भर्ती जारी : मंत्रियों को मिलेंगे 2-2 सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर, भाजपा का हमला
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 2 नवंबर को आउटसोर्स भर्ती पर रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति करने जा रही है। सरकार के इस कदम ने सियासी हलचल तेज कर दी है। भाजपा ने इस पर तंज कसते हुए सरकार की नीयत और नीति पर सवाल उठाए हैं।


सरकार का नया फैसला : सोशल मीडिया प्रचार के लिए नियुक्तियां

सरकार ने सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के माध्यम से सभी मंत्रियों के प्राइवेट सेक्रेटरी को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि मंत्रियों को सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर दिए जाने की अनुमति मिल चुकी है। हर मंत्री को दो-दो कोऑर्डिनेटर दिए जाएंगे, जो उनके विभागीय कार्यों और योजनाओं का प्रचार-प्रसार करेंगे।

20 कोऑर्डिनेटर्स की आउटसोर्स नियुक्ति, वेतन और योग्यता पर सस्पेंस

सूत्रों के अनुसार, इन सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर्स को 30,000 रुपये प्रति माह का मानदेय दिया जाएगा। हालांकि, उनकी नियुक्ति की योग्यता और प्रक्रिया पर स्पष्टता नहीं है।

भाजपा का कटाक्ष : "पुरानी नीतियों का दोहराव"

पूर्व भाजपा सरकार ने भी मंत्रियों के साथ सोशल मीडिया टीम नियुक्त की थी। भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह पुरानी नीतियों को अपनाने के साथ अदालत के आदेशों की अनदेखी कर रही है।

हाईकोर्ट ने बालकृष्ण की याचिका पर लगाई थी रोक

हिमाचल हाईकोर्ट ने बालकृष्ण की याचिका पर फैसला सुनाते हुए आउटसोर्स भर्ती पर रोक लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि पिछले 15 वर्षों से आउटसोर्स प्रणाली के माध्यम से नियमित भर्तियों को नजरअंदाज किया जा रहा है। इससे न केवल सरकारी पद समाप्त हो रहे हैं, बल्कि बेरोजगार युवाओं का शोषण भी हो रहा है।

राजनीतिक और कानूनी विवाद गहराता हुआ

सुक्खू सरकार का यह निर्णय, हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, कई सवाल खड़े करता है। विपक्ष इसे बेरोजगारों के साथ अन्याय और नियमों की अवहेलना बता रहा है। इस मामले में आगे की कानूनी लड़ाई और सियासी बहस हिमाचल की राजनीति को नई दिशा दे सकती है।

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