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बदल रहा है विश्व प्रसिद्ध ताजमहल का रंग, ईंट-भट्टाें के लिए नहीं बनाई कोई नीति
आगरा। आगरा के इर्द-गिर्द अवैध ईंट-भट्टों की भरमार और धुआं के लिए कोई नियमन नहीं होने की वजह से ऐसा माना जा रहा है कि ताजमहल का रंग बदल रहा है। आगरा में फिलहाल 110 ईंट-भट्टे हैं, जिनमें से 47 के पास लाइसेंस और प्रदूषण बोर्ड से एनओसी नहीं है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालिया रिपोर्ट में ईंट-भट्ठे की स्थिति के बारे में यह बात कही गई है।
आगरा के अलावा ताज क्षेत्र में आने वाले मथुरा, हाथरस, फिरोजाबाद, अलीगढ़ और एटा जिलों को भी जोड़ा जाए तो बिना लाइसेंस के 600 ईंट-भट्ठे चल रहे हैं। आगरा में अवैध रूप से चलने वाले 47 ईंट-भट्ठों में से अबतक केवल दो के खिलाफ वायु अधिनियम, 1991 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
हालांकि नोटिस सभी ईंट-भट्ठों को दिया गया है, लेकिन उप्र प्रदूषण बोर्ड इनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है, क्योंकि इनमें से कुछ को स्थानीय राजनेताओं का समर्थन प्राप्त है। संगमरमर के पत्थर से तराशे ताजमहल पर संकट यहीं खत्म नहीं हो जाता। ताजमहल को प्रदूषण से खतरे का अध्ययन करने वाले आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने कहा कि हानिकारक प्रदूषक तत्व आगरा की हवा में मौजूद हैं। इसके लिए ईंट-भट्ठे और फाउंडरी (ढलाईखाना) जैसे उद्योग प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।
हालांकि नोटिस सभी ईंट-भट्ठों को दिया गया है, लेकिन उप्र प्रदूषण बोर्ड इनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है, क्योंकि इनमें से कुछ को स्थानीय राजनेताओं का समर्थन प्राप्त है। संगमरमर के पत्थर से तराशे ताजमहल पर संकट यहीं खत्म नहीं हो जाता। ताजमहल को प्रदूषण से खतरे का अध्ययन करने वाले आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं ने कहा कि हानिकारक प्रदूषक तत्व आगरा की हवा में मौजूद हैं। इसके लिए ईंट-भट्ठे और फाउंडरी (ढलाईखाना) जैसे उद्योग प्रमुख रूप से जिम्मेदार हैं।
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