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बाघों की आबादी दोगुनी करने के लिए पीलीभीत रिजर्व को मिला ग्लोबल अवॉर्ड

पीलीभीत (उप्र)। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व (पीटीआर) और राज्य के वन विभाग ने 10 साल की जगह 4 साल में ही बाघों की आबादी दोगुनी करके पहली बार अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार टीएक्स2 हासिल किया है। देश की 13 टाइगर रेंज में यह पुरस्कार पाने वाला पीटीआर पहला टाइगर रेंज है। 2014 में यहां 25 बाघ थे जो 2018 में 65 हो गए।
यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) के पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता के प्रमुख मिंडोरी पैक्सटन ने राज्य के प्रमुख मुख्य संरक्षक (वन्यजीव) सुनील पांडे को यह पुरस्कार दिया। पांडे ने कहा कि बाघों की आबादी को दोगुना करने का वैश्विक लक्ष्य 2010 में तय किया गया था।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा 2018 में की गई गणना के आधार पर जब बाघों की संख्या जारी की तो पीटीआर के उप निदेशक नवीन खंडेलवाल ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन दिया था। खंडेलवाल ने कहा कि देश के सभी 13 टाइगर रेंज में कोई भी 10 साल में इनकी आबादी दोगुनी करने में सफल नहीं हुआ था। वहीं हमने 4 साल में ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया।
इस सफलता के लिए उन्होंने टाइगर्स-इन्टेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस (एम-एसटीआरआईपीई) के निरंतर उपयोग के साथ कठोर गश्त को कारण बताया। उन्होंने कहा कि वन कर्मचारियों, स्थानीय हितधारकों और बाघ संरक्षण के लिए उत्साही लोगों के प्रयास इस लक्ष्य को पाने में अहम रहे।
--आईएएनएस
यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) के पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता के प्रमुख मिंडोरी पैक्सटन ने राज्य के प्रमुख मुख्य संरक्षक (वन्यजीव) सुनील पांडे को यह पुरस्कार दिया। पांडे ने कहा कि बाघों की आबादी को दोगुना करने का वैश्विक लक्ष्य 2010 में तय किया गया था।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) द्वारा 2018 में की गई गणना के आधार पर जब बाघों की संख्या जारी की तो पीटीआर के उप निदेशक नवीन खंडेलवाल ने इस पुरस्कार के लिए आवेदन दिया था। खंडेलवाल ने कहा कि देश के सभी 13 टाइगर रेंज में कोई भी 10 साल में इनकी आबादी दोगुनी करने में सफल नहीं हुआ था। वहीं हमने 4 साल में ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया।
इस सफलता के लिए उन्होंने टाइगर्स-इन्टेंसिव प्रोटेक्शन एंड इकोलॉजिकल स्टेटस (एम-एसटीआरआईपीई) के निरंतर उपयोग के साथ कठोर गश्त को कारण बताया। उन्होंने कहा कि वन कर्मचारियों, स्थानीय हितधारकों और बाघ संरक्षण के लिए उत्साही लोगों के प्रयास इस लक्ष्य को पाने में अहम रहे।
--आईएएनएस
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