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हिमाचल चुनाव: सोलन में ससुर-दामाद आमने-सामने

नई दिल्ली। देश और प्रदेश के विकास की राह क्षेत्र में लगे उद्योगों से होकर गुजरती है। उद्योग किसी भी राज्य के विकास की दिशा तय करने का माद्दा रखते हैं। हिमाचल प्रदेश के सोलन विधानसभा क्षेत्र में लगे कई उद्योगों के कारण इस शहर को हिमाचल का अद्यौगिक शहर कहा जाता है। अद्यौगिक शहर होने के कारण इस क्षेत्र की राजनीति प्रदेश की राजनीति पर खासा प्रभाव डालती है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा सीट संख्या-53 सोलन विधानसभा। लोकसभा क्षेत्र शिमला और सोलन जिले के अंर्तगत आने वाली सोलन विधानसभा की कुल आबादी वर्तमान में 1,20,238 के आसपास है, जिसमें से इस बार 80,192 मतादाता अपने मतों का प्रयोग करेंगे। सोलन को लाल सोने की घाटी भी कहा जाता है। घने जंगलों और ऊंचे पहाड़ों से घिरे सोलन को सुंदर दृश्यों के लिए भी जाना जाता है। सोलन का प्रदेश की अर्थव्यवस्था में खासा योगदान है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि के परिप्रेक्ष्य से यह विधानसभा क्षेत्र अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित है। सोलन विधानसभा क्षेत्र में 1977 के बाद से अब तक हुए नौ विधानसभा चुनाव में चार बार भाजपा, चार बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी को जीत मिली है। आंकड़े बताते हैं कि यहां की जनता किसी पार्टी विशेष के बजाय क्षेत्रीय व्यक्तित्व पर भरोसा जताती है। यही कारण है कि यहां पर कोई भी नेता दो बार से ज्यादा अपनी सीट नहीं बचा पाया है। चाहे वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजीव बिंदल हों या फिर कांग्रेस की कृष्णा मोहिनी।
वर्तमान में सोलन विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस नेता और मौजूदा विधायक धनी राम शांडिल का कब्जा है। सेना से राजनीति में शामिल हुए धनीराम कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। धनीराम को कांग्रेस के कद्दावर दलित नेताओं में से एक माना जाता है। 77 वर्षीय धनीराम सेना के डोगरा रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस के बैनर तले 13वीं लोकसभा में शिमला लोकसभा से सांसद का चुनाव जीता था।
अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने 14वीं लोकसभा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। 2012 में कांग्रेस ने उन्हें सोलन विधानसभा से बतौर उम्मीदवार मैदान में उतारा और उन्होंने चुनाव जीतकर करीब एक दशक तक चले भाजपा के विजय रथ पर लगाम लगाई। धनीराम के लगातार सफल प्र्दशन को देखकर कांग्रेस ने उन्हें दोबारा से अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि के परिप्रेक्ष्य से यह विधानसभा क्षेत्र अनूसूचित जाति के लिए आरक्षित है। सोलन विधानसभा क्षेत्र में 1977 के बाद से अब तक हुए नौ विधानसभा चुनाव में चार बार भाजपा, चार बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी को जीत मिली है। आंकड़े बताते हैं कि यहां की जनता किसी पार्टी विशेष के बजाय क्षेत्रीय व्यक्तित्व पर भरोसा जताती है। यही कारण है कि यहां पर कोई भी नेता दो बार से ज्यादा अपनी सीट नहीं बचा पाया है। चाहे वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजीव बिंदल हों या फिर कांग्रेस की कृष्णा मोहिनी।
वर्तमान में सोलन विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस नेता और मौजूदा विधायक धनी राम शांडिल का कब्जा है। सेना से राजनीति में शामिल हुए धनीराम कर्नल के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। धनीराम को कांग्रेस के कद्दावर दलित नेताओं में से एक माना जाता है। 77 वर्षीय धनीराम सेना के डोगरा रेजिमेंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस के बैनर तले 13वीं लोकसभा में शिमला लोकसभा से सांसद का चुनाव जीता था।
अगले लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने 14वीं लोकसभा में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया। 2012 में कांग्रेस ने उन्हें सोलन विधानसभा से बतौर उम्मीदवार मैदान में उतारा और उन्होंने चुनाव जीतकर करीब एक दशक तक चले भाजपा के विजय रथ पर लगाम लगाई। धनीराम के लगातार सफल प्र्दशन को देखकर कांग्रेस ने उन्हें दोबारा से अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
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