Advertisement
थायरॉइड की समस्या से कैसे मिलेगी निजात, आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से समझ लें

वहीं, हाइपरथायरायडिज्म में पित्त की अधिकता से चिड़चिड़ापन, वजन घटना और तेज धड़कन जैसी समस्याएं होती हैं।
इसके प्रबंधन के लिए आयुर्वेद जीवनशैली में बदलाव पर जोर देता है। पर्याप्त नींद, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और आयोडीन व जिंक युक्त आहार जरूरी है।
आयुर्वेद के अनुसार, अश्वगंधा, गुग्गुलु, शिलाजीत और त्रिफला जैसी जड़ी-बूटियां थायरॉइड को संतुलित करने में मदद करती हैं।
पंचकर्म जैसी शुद्धिकरण प्रक्रियाएं शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालकर दोषों को संतुलित करती हैं। साथ ही सुबह 10 से 15 मिनट गुनगुनी धूप भी लेनी चाहिए।
खासतौर से सूर्य नमस्कार, सर्वांगासन, मत्स्यासन और नौकासन कर सकते हैं और प्राणायाम में अनुलोम-विलोम और उज्जायी को करना चाहिए। ऐसा करने से चयापचय बेहतर होता है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि नियमित दिनचर्या, सात्विक आहार और ध्यान लगाने से थायरॉइड को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। आधुनिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण को मिलाकर उपचार करने से न केवल इसके लक्षणों में राहत मिलती है, बल्कि शरीर का समग्र स्वास्थ्य भी सुधरता है।
--आईएएनएस
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
यह भी प�?े
लाइफस्टाइल
Advertisement
Traffic
Features


