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विज्ञान का उद्देश्य केवल विकास नहीं, टिकाऊ और समावेशी विकास - प्रो. सारंगदेवोत

khaskhabar.com: मंगलवार, 24 जून 2025 6:56 PM (IST)
विज्ञान का उद्देश्य केवल विकास नहीं, टिकाऊ और समावेशी विकास - प्रो. सारंगदेवोत
रसायन विज्ञान में नवाचार : हरित संश्लेषण और औषधि डिजाइन


विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का हुआ समापन : 300 प्रतिभागियों ने लिया भाग


उदयपुर। राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय के संघटक विज्ञान संकाय के संयुक्त तत्वावधान में रसायन विभाग की ओर से प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में रसायन विज्ञान में नवाचार: हरित संश्लेषण और औषधि डिजाइन विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमीनार का समापन मंगलवार को हुआ ।

प्रारंभ में आयोजन सचिव प्रो. रेणु राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि दो दिवसीय सेमीनार में देश विदेश के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। तकनीति सत्रों में 34 पेपर तथा 24 पोस्टर का प्रेजेंटेशन हुआ।

बेस्ट पेपर वाचनकर्ता को अतिथियों द्वारा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह में अतिथियों द्वारा दो दिवसीय सोविनियर का लोकार्पण किया गया। उन्होंने बताया कि हाइब्रिड मोड़ पर हुए इस सेमीनार में यूएसएए, चीन साउथ अफ्रीका,लंदन,ऑस्ट्रेलिया, नेपाल,पुर्तगाल के रसायनविदों ने भाग लिया। जिसमें मुख्य रूप से ग्रीन केमेस्ट्री के संदर्भ में नेनो टेक्नोलॉजी, इंडस्ट्रियल एप्लीकेशन ऑफ एम्बोलाईस्ड एंजाइम, सोल जेल टेक्नोलॉजी, कैंसर ड्रग , हेटेरोगेनेसिस ऑफ होमोगेनोस केटेलिसिस पर पेपर प्रस्तुत किये गए।

मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत ने बताया कि ग्रीन केमिस्ट्री जीवन जीने की एक शैली है जो हम सभी को प्रकृति के साथ समरसता और समायोजन सिखाती है। जो नवाचारों के साथ पर्यावरण के संतुलन को महत्व दे कर मानव.प्रकृति के संबंधों को समायोजन बनाती है। 21वीं सदी में जब पर्यावरणीय संकट, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याएँ मानव अस्तित्व के लिए चुनौती बन चुकी हैं, तब विज्ञान की भूमिका केवल खोज तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि अब यह जिम्मेदारी बन गई है कि विज्ञान प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करे।

इसी दिशा में एक क्रांतिकारी अवधारणा है हरित रसायन। उन्होंने कहा कि ग्रीन केमेस्ट्री को जनमानस तक पहुंचाने और जीवन का हिस्सा बनने के लिए सर्वाधिक आवश्यकता जागरूकता की है जो की सामाजिक व्यवसायिक एव्यापारिक हर स्तर पर करनी होगी होगी और इसके लिए स्थानीय स्तर से लेकर सरकारी स्तर तक नीतिगत प्रयासों और सकारात्मक निर्णय के माध्यम से ही यह कार्य संभव हो पाएगा।यदि हम आज हरित रसायन को अपनाते हैं, तो हम न केवल पर्यावरण की रक्षा करेंगे, बल्कि भावी पीढ़ियों को एक सुरक्षित और स्वस्थ भविष्य भी प्रदान करेंगे।

अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर ने कहा कि शोध कार्य ओर सशक्त बनाने की जरूरत है, हमारा विकास शोध पर टिका हुआ है। जिसमें जनमानस को जोड़ने और दैनिक जीवन में उसके उपयोग को सीखाने की आवश्यकता है।

डाॅ. सबा खान, डाॅ. प्रभात बारोलिया, डाॅ. गंगोत्री पेमावत, डाॅ. प्रधुम्मन सिंह राणावत तकनीकी सत्रों में पेपर और पोस्टर प्रेजेंटेशन की बारीकियों से परखा ।श्रेष्ठ प्रस्तुतियों को पुरस्कृत किया गया।

परिणाम इस प्रकार रहे - पेपर प्रस्तुति मे अनिल गहलोत, कमलजीत यादव, पोस्टर प्रस्तुति प्रजापति प्रवीण, दिनेश बावसरी, रागिनी गंधर्व ,चेतन सिंह सोलंकी,कृष्णपाल सिंह राठौर, श्रेष्ठ जैन , मोहम्मद नदीम को पुरस्कार प्रदान किया गया।

संगोष्ठी में डाॅ सपना श्रीमाली, डाॅ. गिरधरपाल सिंह, डाॅ. जयसिंह जोधा, डॉ. मंगल श्री दुलावत, डॉ भावेश जोशी, डॉ. कृष्णपाल सिंह, लालिमा शर्मा, शक्तिका चैधरी, सहित संकाय के अन्य सदस्य, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित थे।

धन्यवाद डाॅ. गिरधरपाल सिंह ने ज्ञापित किया जबकि संचालन सिद्धिमा शर्मा ने किया।

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