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बुंदेलखंड में जलस्रोत बचाने को समाज और संत हो रहे हैं लामबंद
बुंदेलखंड उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के 14 जिलों में फैला हुआ है। यहां कभी 10 हजार से ज्यादा तालाब हुआ करते थे, मगर अब इसके मुकाबले महज 20 फीसदी ही तालाब नजर आते हैं। यहां के लगभग हर गांव में एक तालाब हुआ करता था और उसकी पहचान ही तालाब से होती थी, अब यही गांव जलसंकट के लिए पहचाने जाने लगे हैं।
सरकार उत्तर प्रदेश की रही हो या मध्य प्रदेश की या केंद्र की, सभी ने इस इलाके की तस्वीर बदलने के लिए हजारों करोड़ रुपये मंजूर किए, मगर यह राशि पानी की खातिर पानी की तरह बहा दी गई। यही कारण है कि पानी के संकट का स्थायी निदान नहीं निकल पाया। इसकी मूल वजह समाज की भागीदार का अभाव रहा है, सरकारी मशीनरी ने आवंटित राशि को कागजी तौर पर खर्च कर दी और उस पर किसी ने नजर नहीं रखी।
पानी के संकट से हर कोई वाकिफ है और सरकारी मशीनरी के रवैए से नाराज है। इसी के चलते यहां के जागरूक लोग लामबंद हो चले हैं। बीते दिनों चित्रकूट में समाज के जागरूक लोगों और संत समाज के प्रतिनिधियों की बैठक हुई। इस बैठक में तय हुआ कि आगामी दिनों में जल संचयन वाली संरचनाओं को पुनर्जीवित किया जाए।
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