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जैन धर्म के प्रमुख आगम कल्पसूत्र का वाचन-विवेचन सोमवार से

khaskhabar.com: रविवार, 01 सितम्बर 2024 4:27 PM (IST)
जैन धर्म के प्रमुख आगम कल्पसूत्र का वाचन-विवेचन सोमवार से
बीकानेर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में चल रहे आठ दिवसीय पर्युषण पर्व के दूसरे दिन जैन धर्म के प्रमुख आगम कल्पसूत्र को वंदन पूजन कर स्थापित किया गया। सोमवार को सुबह साढ़े आठ बजे गाजे बाजे के साथ कल्पसूत्र को ढढ्ढा चौक में प्रवचन स्थल पर लाकर वाचन-विवेचन किया जाएगा।

श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में श्रीसंघ के सहयोग से आयोजित पर्यषण पर्व के दूसरे दिन कल्पसूत्र के पूजन, वंदन व वांचन विवेचन का लाभ मुनि सवार्थ रत्न सागर के सांसारिक वीर पिता बरोरा के अजय मालू, दादी चंदा व माता जयादेवी व बहिन राशि ने लिया। इन्होंने प्रवचन पंडाल में ले जाकर कल्पसूत्रजी को वंदना के बाद प्रतिष्ठित करवाया।
धर्मचर्चा में आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी ने बताया कि कल्पसूत्र में सभी 24 तीर्थंकरों का जीवन चरित्र है। इस ग्रंथ की रचना भद्रबाहु ने की। पर्युषण पर्व के दौरान मुनि व साध्वीवृंद के मुखारबिंद से कल्पसूत्र को सुनने से पापों का क्षय व पुण्यों का उदय होता है। जिन शासन की प्रभावना होती है। बीकानेर के मुनि सम्यक रत्न सागर सूरीश्वरजी ने अष्टानिका प्रवचन में विभिन्न तरह के श्रावकों का वर्णन किया तथा मणिधारी दादा गुरुदेव जिनचन्द्र सूरि का स्मरण दिलाते हुए कहा कि वे असाधरण व्यक्तित्व एवं लोकोत्तर प्रभाव के कारण अल्प आयु में जो प्रसिद्धि प्राप्त की वह परमात्मा महावीर के शासन के स्वर्णिम इतिहास का एक अनूठा अध्याय है।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि आचार्यश्री सहित चतुर्विद संघ ने बिना अन्न जल के 42 दिन की तपस्या पूर्ण करने वाले कन्हैयालाल भुगड़ी, मास खमण की तपस्या की ओर आगे बढ़ने वाले रौनक बरड़िया सहित उपवास, बेला, तेला,अट्ठाई, मासखमण, आयम्बिल, अट्ठम तप, श्रेणिक तप, आगम तप करने वाले श्रावक-श्राविकाओं की अनुमोदना की गई। बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने कोठारी भवन स्थित नंदीश्वर दीप व ढढ्ढा चौक में आगम वाटिका के दर्शन वंदन किए।
श्री जिनेश्वर युवक परिषद के मंत्री मनीष नाहटा ने बताया कि खरतरगच्छ ज्ञान वाटिका के बच्चों को चांदमल विमल कुमार कोचर मुक्की बाबू परिवार की ओर से व सभी श्रावक-श्राविकाओं को कांतिलाल, पीयूष बोथरा व श्री जिन कुशल सामयिक मंडल की ओर से प्रभावना से अभिनंदन किया गया। भक्ति संगीत संध्या हुई जिसमें स्थानीय कलाकार व मंडलों ने भजनों की प्रस्तुतियां दी। आचार्यश्री मुनिवृंद व साध्वीवृंद ने चतुर्विद संघ के साथ जिनालयों में दर्शन वंदन किए। नाहटा चौक के आदिश्वरजी के मंदिर में आठ दिनों तक नियमित विशेष अंगी व भक्ति का आयोजन होगा।

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