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सरकारी डॉक्टर चला रहे प्राइवेट अस्पताल औऱ क्लिनिक, 4 जनों को किया जयपुर तलब

khaskhabar.com: शनिवार, 17 मई 2025 4:06 PM (IST)
सरकारी डॉक्टर चला रहे प्राइवेट अस्पताल औऱ क्लिनिक, 4 जनों को किया जयपुर तलब
नागौर। राजस्थान के कुचामन सिटी में सरकार से तनख्वाह लेने वाले डॉक्टर खुद के प्राइवेट अस्पताल और क्लिनिक भी चला रहे हैं। यह चौंकाने वाला खुलासा तब हुआ जब राज्य नोडल अधिकारी डॉ. रामबाबू जायसवाल ने कुछ दिन पहले ही कुचामन के सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान मरीजों ने शिकायत की यहां के डॉक्टर अक्सर रोगियों का इलाज खुद के प्राइवेट अस्पतालों में करते हैं, उनसे मोटी राशि वसूली जाती है। विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए चार डॉक्टरों को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए 19 और 20 मई को जयपुर तलब किया है।

निदेशक जन स्वास्थ्य की ओर से जारी आदेश के अनुसार, डॉ. बेनीराम चौधरी, डॉ. राजेन्द्र डिडवानिया, डॉ. जानकीलाल महला और डॉ. शिवपाल मेहरा, ये सभी सरकारी सेवा में कार्यरत होते हुए भी कुचामन सिटी में अपने निजी अस्पताल संचालित कर रहे थे। विभाग को लंबे समय से इनकी इस समानांतर प्रैक्टिस की शिकायतें मिल रही थीं। इसके बाद विभाग ने इसकी जांच कराई और आरोपों को सही पाया।
सूत्रों की मानें तो ये डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को गुमराह कर अपने निजी अस्पतालों में रेफर करते थे, जहां उनसे मोटी फीस वसूली जाती थी। इतना ही नहीं, यह भी आशंका जताई जा रही है कि इन डॉक्टरों ने सरकारी संसाधनों और उपकरणों का भी अपने निजी अस्पतालों में इस्तेमाल किया होगा, जो सरासर नियमों का उल्लंघन है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया है और इन चारों डॉक्टरों को आगामी 19 और 20 मई 2025 को प्रातः 11 बजे व्यक्तिगत रूप से निदेशालय (जन स्वास्थ्य), चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, राजस्थान, जयपुर में हाजिर होने का आदेश दिया है।
विभाग उनसे यह स्पष्टीकरण मांगेगा कि वे सरकारी सेवा में रहते हुए निजी अस्पताल कैसे चला रहे थे और क्या उन्होंने सरकारी नियमों का उल्लंघन किया है। विभाग के उच्च अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी डॉक्टरों द्वारा निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह न केवल हितों का टकराव है बल्कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। यदि ये डॉक्टर अपने बचाव में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें निलंबन और बर्खास्तगी भी शामिल है।

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