डिजिटल अरेस्ट मामला: CBI की मुंबई में दबिश, दो और जालसाज गिरफ्तार, अब तक 6 पकड़े

जांच में पता चला कि शातिर साइबर अपराधियों ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों के फर्जी अधिकारी बनकर एक पीड़ित को डिजिटल रूप से अरेस्ट कर लिया था और अक्टूबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच उससे डरा-धमकाकर 7.67 करोड़ रुपए की भारी रकम ठग ली थी। CBI ने इस जटिल मामले की तह तक पहुंचने के लिए 'ऑपरेशन चक्र-V' चलाया। अप्रैल 2025 में इस ऑपरेशन के तहत राजस्थान समेत देश के कई हिस्सों में व्यापक तलाशी अभियान चलाया गया था, जिसमें चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। इन संयुक्त कार्रवाइयों में सिम कार्ड और फर्जी बैंक खातों की अवैध आपूर्ति करने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ था, जिनका इस्तेमाल डिजिटल अरेस्ट और अन्य साइबर अपराधों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा था।
ऑपरेशन चक्र-V के तहत ही, पहले गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ में मिले अहम सुरागों के आधार पर CBI की टीमों ने मुंबई में साइबर अपराध सिंडिकेट के सदस्यों से जुड़े कुछ और महत्वपूर्ण ठिकानों पर दबिश दी। इस कार्रवाई में दो और महत्वपूर्ण ऑपरेटिव CBI के हत्थे चढ़े। तलाशी के दौरान उनके कब्जे से आपत्तिजनक दस्तावेज और साइबर ठगी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले आधुनिक डिजिटल उपकरण बरामद किए गए हैं।
CBI द्वारा गिरफ्तार किए गए इन दोनों आरोपियों को आगे की पूछताछ और कानूनी कार्रवाई के लिए राजस्थान के झुंझुनू जिले की सक्षम अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उन्हें 8 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। CBI ने स्पष्ट किया है कि वह इस साइबर अपराध सिंडिकेट के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और गहन, निष्पक्ष जांच जारी रखेगी।
एजेंसी का लक्ष्य इस संगठित अपराध में शामिल अन्य सदस्यों और पीड़ितों की पहचान करना है। राजस्थान पुलिस भी CBI के साथ समन्वय बनाकर इस मामले में हर संभव सहयोग कर रही है। CBI ने राजस्थान के आम नागरिकों से अपील की है कि वे इस तरह के साइबर अपराधों से सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस या CBI को दें।
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