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पर्यावरण दिवस पर डीसी ने लॉंच किया ’प्लास्टिक मुक्त मंदिर’ प्रोजेक्ट

-बोले... पर्यावरण संरक्षण के साथ आजीविका के साधन भी होंगे उपलब्ध
धर्मशाला। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर आज सोमवार को उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने श्री चामुंडा माता मंदिर से ‘प्लास्टिक मुक्त मंदिर’ प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इसके तहत उन्होंने आज श्री चामुंडा नन्दिकेरूवर धाम में मंदिरों के लिए फूलों की नर्सरी और फूलों की खेती परियोजना का शुभारंभ करते हुए टिकोमा (घंटी फूल) के पौधों को रोपित किया। उन्होंने मंदिर परिसर में गेंदे के फूल की नर्सरी लगाने की शुरुआत भी इस दौरान की।
उपायुक्त ने कहा कि श्री चामुंडा माता मंदिर से शुरू की गई इस महत्वपूर्ण परियोजना से मंदिरों में रखे प्लास्टिक फूलों को असली फूलों से बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि श्री चामुंडा मंदिर से शुरु किए गए इस प्रोजेक्ट को क्रमवार जिले के सभी बड़े मंदिरों में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसरों में पूजा-अर्चना के लिए उपयोग में लाए जाने वाले असली फूलों की खेती को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। डीसी ने इस मौके स्थानीय कृषकों, बागवानों, दुकानदारों और मंदिर कार्य से जुड़े लोगों से इसमें सहयोग देने की बात कही।
आजीविका को भी मिलेगा बल
डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि कहा कि इस परियोजना से जहां एक तरफ हम प्लास्टिक मुक्त मंदिर की ओर बढ़ेंगे वहीं दूसरी तरफ फूलों की खेती करने वाले लोगों की आजीविका भी सुदृढ़ होगी। उन्होंने स्थानीय कृषकों और बागवानों को अपनी भूमि के कुछ हिस्से में फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए जिला प्रशासन द्वारा बागवानी विभाग से एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया गया है।
फूलों की बिक्री के लिए मंदिरों में लगेगी कैनोपी
उपायुक्त ने कहा कि फूलों की बिक्री के लिए प्रशासन मंदिर में इसकी व्यवस्था करेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय कृषकों को मंदिर में प्रशासन द्वारा कैनोपी उपलब्ध करवाई जाएगी, जहां वे अपने फूलों को बेच सकेंगे।
व्यवहार में बदलाव होगा महत्वपूर्ण योगदान
डीसी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और संतुलन को लेकर सभी को संगठित प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन कितना भी प्रयास कर लें लेकिन जब तक आमजन के व्यवहार में बदलाव नहीं आएगा, तब तक हम सफल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने के लिए प्रत्येक जन इसके प्रति अपने व्यवहार में बदलाव लाकर महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
विशेषज्ञों ने किया जिज्ञासा समाधान
डॉ. निपुण जिंदल ने इस दौरान साथ लगती छः पंचायतों से आए कृषकों, बागवानों और स्वयं सहायता समूहों से बात करते हुए उनकी समस्याओं के बारे में जाना। उन्होंने बागवानों की जिज्ञासाओं को सुनते हुए उनके व्यवहारिक समाधान को लेकर मुक्त चर्चा की। कार्यक्रम में उप निदेशक बागवानी डॉ. कमलशील नेगी, आईएचबीटी पालमपुर से डॉ. भार्गव, एजुकेयर इंडिया के बगीचा परियोजना संयोजक हरजीत भुल्लर और विभागीय अधिकारियों ने फूलों की खेती संबंधी अपने विचार रखे।
धर्मशाला। विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य पर आज सोमवार को उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने श्री चामुंडा माता मंदिर से ‘प्लास्टिक मुक्त मंदिर’ प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इसके तहत उन्होंने आज श्री चामुंडा नन्दिकेरूवर धाम में मंदिरों के लिए फूलों की नर्सरी और फूलों की खेती परियोजना का शुभारंभ करते हुए टिकोमा (घंटी फूल) के पौधों को रोपित किया। उन्होंने मंदिर परिसर में गेंदे के फूल की नर्सरी लगाने की शुरुआत भी इस दौरान की।
उपायुक्त ने कहा कि श्री चामुंडा माता मंदिर से शुरू की गई इस महत्वपूर्ण परियोजना से मंदिरों में रखे प्लास्टिक फूलों को असली फूलों से बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि श्री चामुंडा मंदिर से शुरु किए गए इस प्रोजेक्ट को क्रमवार जिले के सभी बड़े मंदिरों में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसरों में पूजा-अर्चना के लिए उपयोग में लाए जाने वाले असली फूलों की खेती को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। डीसी ने इस मौके स्थानीय कृषकों, बागवानों, दुकानदारों और मंदिर कार्य से जुड़े लोगों से इसमें सहयोग देने की बात कही।
आजीविका को भी मिलेगा बल
डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि कहा कि इस परियोजना से जहां एक तरफ हम प्लास्टिक मुक्त मंदिर की ओर बढ़ेंगे वहीं दूसरी तरफ फूलों की खेती करने वाले लोगों की आजीविका भी सुदृढ़ होगी। उन्होंने स्थानीय कृषकों और बागवानों को अपनी भूमि के कुछ हिस्से में फूलों की खेती करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के लिए जिला प्रशासन द्वारा बागवानी विभाग से एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया गया है।
फूलों की बिक्री के लिए मंदिरों में लगेगी कैनोपी
उपायुक्त ने कहा कि फूलों की बिक्री के लिए प्रशासन मंदिर में इसकी व्यवस्था करेगा। उन्होंने कहा कि स्थानीय कृषकों को मंदिर में प्रशासन द्वारा कैनोपी उपलब्ध करवाई जाएगी, जहां वे अपने फूलों को बेच सकेंगे।
व्यवहार में बदलाव होगा महत्वपूर्ण योगदान
डीसी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और संतुलन को लेकर सभी को संगठित प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन कितना भी प्रयास कर लें लेकिन जब तक आमजन के व्यवहार में बदलाव नहीं आएगा, तब तक हम सफल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने के लिए प्रत्येक जन इसके प्रति अपने व्यवहार में बदलाव लाकर महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
विशेषज्ञों ने किया जिज्ञासा समाधान
डॉ. निपुण जिंदल ने इस दौरान साथ लगती छः पंचायतों से आए कृषकों, बागवानों और स्वयं सहायता समूहों से बात करते हुए उनकी समस्याओं के बारे में जाना। उन्होंने बागवानों की जिज्ञासाओं को सुनते हुए उनके व्यवहारिक समाधान को लेकर मुक्त चर्चा की। कार्यक्रम में उप निदेशक बागवानी डॉ. कमलशील नेगी, आईएचबीटी पालमपुर से डॉ. भार्गव, एजुकेयर इंडिया के बगीचा परियोजना संयोजक हरजीत भुल्लर और विभागीय अधिकारियों ने फूलों की खेती संबंधी अपने विचार रखे।
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