झुंझुनूं : कलेक्ट्रेट का घेराव, मंत्री से धक्का-मुक्की और लाठीचार्ज : PHQ कर्मचारी पर हत्या का आरोप, शव लेने से परिजनों ने किया इनकार

सोमवार को विरोध प्रदर्शन उस समय उग्र हो गया जब सैकड़ों ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया। इस दौरान प्रदर्शन में शामिल पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को ग्रामीणों ने घेर लिया और गिरेबान पकड़कर धक्का-मुक्की कर दी। हालात बिगड़ते देख पुलिस को बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर करना पड़ा।
घटना बिरमी के धनुरी थाना इलाके की है। मृतक युवक सुभाष मेघवाल 5 मई को दुबई से अपने गांव धनुरी लौटा था और 20 मई को वापसी की फ्लाइट थी। लेकिन उससे पहले 16 मई की रात रोहिड़ा बस स्टैंड स्थित एक होटल पर खाना खाने गया था, जहां त्रिलोका का बास निवासी मुकेश जाट से उसकी कहासुनी हो गई।
ग्रामीणों के अनुसार, कहासुनी के बाद जब सुभाष घर लौट रहा था, तभी मुकेश और उसके साथियों ने उसका पीछा कर बुरी तरह पीटा। गंभीर हालत में सुभाष को बीडीके अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां 9 दिन बाद उसकी मौत हो गई।
सुभाष की पत्नी मनोज देवी ने 18 मई को धनुरी थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि मुकेश जाट, उसके साले और दो-तीन अन्य लोगों ने सुभाष पर हमला किया।
सबसे गंभीर आरोप मुकेश पर है, जो करीब आठ साल पहले अनुकंपा नियुक्ति के तहत झुंझुनूं पुलिस में कनिष्ठ सहायक के रूप में भर्ती हुआ था और वर्तमान में वरिष्ठ सहायक के रूप में पुलिस मुख्यालय जयपुर में पदस्थ है।
परिजनों का कहना है कि जब तक सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक वे शव का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। उन्होंने पुलिस और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है और यह सवाल उठाया है कि जब नामजद आरोपी खुद पुलिस महकमे में पदस्थ है, तो निष्पक्ष जांच कैसे संभव है?
प्रदर्शन के दौरान वहां पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा भी पहुंचे और उन्होंने लोगों को समझाने की कोशिश की। लेकिन गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने उन्हें घेर लिया और उनकी गिरेबान पकड़ ली। पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा और लाठीचार्ज करते हुए भीड़ को खदेड़ा।
धनुरी पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि आरोपियों को बचाया जा रहा है, क्योंकि मुख्य आरोपी खुद पुलिस विभाग से जुड़ा है।
ग्रामीणों की मांगें क्या हैं? मुख्य आरोपी मुकेश जाट की तत्काल गिरफ्तारी। केस की निष्पक्ष जांच, preferably सीआईडी से। पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई। पुलिस महकमे में आरोपी की नियुक्ति और प्रमोशन की जांचद्ध
फिलहाल स्थिति क्या है?
शव अभी भी बीडीके अस्पताल की मॉर्च्युरी में रखा है। परिजन और ग्रामीण धरने पर डटे हैं। प्रशासन और पुलिस के खिलाफ लगातार नारेबाजी हो रही है। जिला कलेक्टर कार्यालय के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
एक युवा की मौत और तंत्र की चुप्पी
यह मामला केवल एक हत्या का नहीं, बल्कि प्रशासनिक निष्क्रियता और पुलिस विभाग की जवाबदेही का भी है। जब खुद विभाग का व्यक्ति आरोपी हो, तब पीड़ित को न्याय कैसे मिलेगा? झुंझुनूं की सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब यही सवाल कर रहा है। अब देखना ये है कि सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले को कैसे हैंडल करता है—न्याय के तराजू में या सियासी मजबूरियों के पलड़े में।
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