भागवत कथाः जीव और ईश्वर का मिलन है रास, काम को परास्त किया है योगेश्वर श्रीकृष्ण ने : आचार्य कृपाशंकर

उन्होंने बताया कि रास तो जीव का परब्रह्म ईश्वर के साथ मिलन की कथा है। आस्था और विश्वास के साथ भगवत प्राप्ति का फल प्राप्त होता है तो उसे रास कहा जाता है। कथा प्रसंग में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के विवाह की झांकी ने सभी भक्तों को खूब आनंदित किया। उन्होंने कहा कि जो भक्त ईश्वर प्रेम में आनंदित होते हैं और श्रीकृष्ण तथा रूक्मिणी के विवाह में शामिल होते हैं, उनकी समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।
कथाव्यास ने कहा जब जीव में अभिमान आता है, भगवान उनसे दूर हो जाता है। लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में रोता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है, उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ।
कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती। यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी-नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत: ही प्राप्त हो जाती है।
कथा के अंत में यजमान विजय सिंह राना व नीतू राना, वीरी सिंह नरवार, नीरज सिसौदिया पार्षद, जय सिंह राना, विशाल राना, अशोक कुमार सिंह, योगेंद्र, मंजीत, वासुदेव शर्मा, प्रदीप राना, जीतेन्द्र सिंह ज्योति, कुणाल, राम कुमार सिंह, श्याम सिंह, अनिल चौधरी, धर्मवीर सिंह प्रगति, गोविंद सिंह राना, अभय राना, मनोज राना, विजय सिंह वोवले, राहुल राना, विजेंद्र सिंह राना, रजनीकांत शर्मा, नरेंद्र सिंह, नीतू राना, अंकुर राना, गौरव राना सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुषों ने कथा पीठ की आरती कर प्रसादी का वितरण किया। - प्रेस रिलीज।
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