देश की एकता के सूत्रधार थे सरदार पटेल (जयंती : 31 अक्टूबर पर विशेष)

भारत के राजनीतिक इतिहास में सरदार पटेल के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। पटेल नवीन भारत के निर्माता थे। राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी थे। देश के विकास में सरदार वल्लभभाई पटेल के महत्व को सैदव याद रखा जाएगा। देश की आजादी के संघर्ष में उन्होंने जितना योगदान दिया, उससे ज्यादा योगदान उन्होंने स्वतंत्र भारत को एक करने में दिया।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया। वास्तव में वे आधुनिक भारत के शिल्पी थे। उनके कठोर व्यक्तित्व में संगठन कुशलता, राजनीति सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अटूट निष्ठा थी। जिस अदम्य उत्साह असीम शक्ति से उन्होंने नवजात गणराज्य की प्रारंभिक कठिनाइयों का समाधान किया, उसके कारण विश्व के राजनीतिक मानचित्र में उन्होंने अमिट स्थान बना लिया। भारत की स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
सरदार पटेल को भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। गृहमंत्री बनने के बाद भारतीय रियासतों के विलय की जिम्मेदारी उनको ही सौंपी गई थी। उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए छह सौ छोटी-बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया। देशी रियासतों का विलय स्वतंत्र भारत की पहली उपलब्धि थी और निर्विवाद रूप से पटेल का इसमें विशेष योगदान था। नीतिगत ²ढ़ता के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें सरदार और लौह पुरुष की उपाधि दी थी। वल्लभ भाई पटेल ने आजाद भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया।
स्वतंत्र भारत के पहले तीन वर्ष सरदार पटेल देश के उप-प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री रहे। इस सबसे भी बढक़र उनकी ख्याति भारत के रजवाड़ों को शांतिपूर्ण तरीके से भारतीय संघ में शामिल करने तथा भारत के राजनीतिक एकीकरण के कारण है। पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया, जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था।
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