RERA का कड़ा एक्शन; आदर्श विला प्रोजेक्ट में छिपाईं कानूनी अड़चनें, बिल्डर पर ₹50 हजार का जुर्माना

दरअसल, RERA को एक शिकायत मिली थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि 'आदर्श विला' (पंजीकरण संख्या RAJ/P/2023/2746) जिस जमीन पर बन रहा है, वह विवादित है और इसका मामला कोटा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश संख्या-4 के न्यायालय में लंबित है। शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि विवादित जमीन को मूल मालिक ने बेचा था, लेकिन बाद में भू-माफिया के साथ मिलकर उसे वापस खरीद लिया गया। भू-माफिया ने नगर विकास न्यास (UIT) कोटा के अधिकारियों से मिलीभगत कर प्रोजेक्ट का ले आउट प्लान भी स्वीकृत करा लिया। इसके अतिरिक्त, इसी प्रोजेक्ट से संबंधित एक अन्य मुकदमा "अमित शर्मा बनाम नगर विकास न्यास, विविध वाद संख्या 111/2024" अतिरिक्त सिविल जज संख्या-2, दक्षिण, कोटा के न्यायालय में लंबित है, जिसमें 29 मई 2024 के आदेश द्वारा स्थगन आदेश जारी किया गया है।
इन गंभीर आरोपों के बाद RERA ने बिल्डर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था कि क्यों न उस पर RERA एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करने के लिए कार्रवाई की जाए। जवाब में बिल्डर के वकील ने दावा किया कि प्रोजेक्ट के पंजीकरण के समय बिल्डर को चल रहे कानूनी विवादों की जानकारी नहीं थी। उन्होंने अथॉरिटी को यह भी बताया कि प्रोजेक्ट का पंजीकरण 31 मार्च 2025 तक वैध है और शिकायतकर्ता ने भू-मालिक के खिलाफ वसूली का मुकदमा दायर किया है।
हालांकि, RERA की अध्यक्ष वीनू गुप्ता ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और उपलब्ध रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद पाया कि बिल्डर प्रोजेक्ट के पंजीकरण से पहले UIT के आदेश से यह स्पष्ट था कि प्रोजेक्ट से संबंधित मुकदमे लंबित थे। इसलिए, बिल्डर अज्ञानता का दावा करके अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। RERA ने बिल्डर द्वारा RERA एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर ₹50,000 का जुर्माना लगाया है।
RERA ने इस मामले का निपटारा करते हुए बिल्डर को भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही न बरतने की सख्त चेतावनी दी है। यह कार्रवाई बिल्डरों को यह स्पष्ट संदेश देती है कि प्रोजेक्ट के बारे में सही और पूरी जानकारी देना उनकी जिम्मेदारी है और किसी भी प्रकार की जानकारी छिपाने पर RERA सख्त कार्रवाई करेगा।
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