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RAJ : बाड़मेर सीट पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, कांग्रेस से मानवेंद्र, BJP..?

बाड़मेर। बाड़मेर लोकसभा सीट पर चुनावी दंगल संभवत: राजनीतिक दिग्गजों का भविष्य तय करेगा। कांग्रेस ने हाल ही में भाजपा के दिग्गज नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह को यहां से उम्मीदवार बनाया है, जबकि भाजपा यहां के राजनीतिक परिदृश्य को जिंदा रखने के लिए सही उम्मीदवार की तलाश कर रही है।
2004 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे
मानवेंद्र सिंह का काफी रोचक इतिहास रहा है। उन्होंने 2004 में बाड़मेर सीट से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह अब कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ झालावाड़ में चुनाव हार गए थे। सूत्रों के अनुसार, इसबार पार्टी ने उन्हें बाड़मेर से चुनाव लड़ाने का वादा किया था और पार्टी ने वादा पूरा किया है।
हालांकि इस सीट को लेकर भाजपा की चुप्पी से सभी हैरान हैं, क्योंकि भाजपा को अभी भी अपने पत्ते खोलने हैं और सीट से उम्मीदवार की घोषणा करनी है, जो कि जाट, मुस्लिम और दलित बहुल इलाका है।
पूर्व आईपीएस, पूर्व विधायक या कर्नल को मिल सकता है इसबार टिकट
राजनीतिक सूत्रों ने कहा है कि भाजपा यहां से तीन नामों पर विचार कर रही है। पहला पूर्व आईपीएस अधिकारी महेंद्र सिंह हैं, जिन्होंने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। दूसरे कैलाश चौधरी हैं, जो पिछले वर्ष तक विधायक थे और वह एक मजबूत जाट उम्मीदवार हैं। तीसरा नाम कर्नल सोना राम(73) का है, जिन्होंने 2014 में जसवंत सिंह को हराया था। सोना राम तीसरा विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि उनकी उम्र उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ जा रही है।
बीजेपी ने अभी नहीं किया उम्मीदवार का खुलासा
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर लोकसभा चुनाव के लिए यहां के राज्य प्रभारी हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक इस सीट से उम्मीदवार के नाम का खुलासा नहीं किया है। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "हमारे दिमाग में बाड़मेर के लिए सही योजना है और हम सही समय पर इसका खुलासा करेंगे। हालांकि, फिलहाल यह अभी एक राज है।" इसबीच, हाल ही में बर्खास्त किए गए आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी ने आईएएनएस से बाड़मेर सीट से चुनाव लड़ने की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, "मैंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और आठ अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करूंगा, क्योंकि उसदिन मेरा जन्मदिन है। मैंने अपने कार्यकाल के दौरान इस क्षेत्र की सेवा की है और लोग यहां मेरे काम पर विश्वास करते हैं। इसलिए, मैंने इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।"
उन्होंने इसके साथ ही खुलासा किया कि भाजपा शुरुआती चरण में उनके नाम पर विचार कर रही थी। उन्होंने कहा, "यह आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन यह सच है कि भाजपा शुरुआत में मेरे नाम पर विचार कर रही थी, जोकि मेरे लिए भी आश्चर्यजनक बात थी।" चौधरी को मार्च के पहले सप्ताह में अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी करने के आरोप में पद से हटा दिया गया था। उन्होंने आरोपों से इनकार किया और इसे वसुंधरा राजे का व्यक्तिगत प्रतिशोध बताया। चौधरी ने कहा कि उनसे बसपा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और आप ने संपर्क की कोशिश की थी।
उन्होंने कहा, "फिलहाल मैं स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का विचार कर रहा हूं। हालांकि मैं इनमें से किसी भी पार्टी में शामिल हो सकता हूं, क्योंकि दूर-दराज के इलाकों में प्रचार करने के लिए मेरे पास फंड की कमी है।" बाड़मेर एक ऐसी सीट है, जहां आकांक्षाओं, उम्मीदों और वादों की कई रोचक कहानियां हैं, जो इस सीट को आगामी लोकसभा चुनाव में काफी महत्वपूर्ण बनाती हैं।
-आईएएनएस
2004 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे
मानवेंद्र सिंह का काफी रोचक इतिहास रहा है। उन्होंने 2004 में बाड़मेर सीट से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह अब कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। वह 2018 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ झालावाड़ में चुनाव हार गए थे। सूत्रों के अनुसार, इसबार पार्टी ने उन्हें बाड़मेर से चुनाव लड़ाने का वादा किया था और पार्टी ने वादा पूरा किया है।
हालांकि इस सीट को लेकर भाजपा की चुप्पी से सभी हैरान हैं, क्योंकि भाजपा को अभी भी अपने पत्ते खोलने हैं और सीट से उम्मीदवार की घोषणा करनी है, जो कि जाट, मुस्लिम और दलित बहुल इलाका है।
पूर्व आईपीएस, पूर्व विधायक या कर्नल को मिल सकता है इसबार टिकट
राजनीतिक सूत्रों ने कहा है कि भाजपा यहां से तीन नामों पर विचार कर रही है। पहला पूर्व आईपीएस अधिकारी महेंद्र सिंह हैं, जिन्होंने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। दूसरे कैलाश चौधरी हैं, जो पिछले वर्ष तक विधायक थे और वह एक मजबूत जाट उम्मीदवार हैं। तीसरा नाम कर्नल सोना राम(73) का है, जिन्होंने 2014 में जसवंत सिंह को हराया था। सोना राम तीसरा विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि उनकी उम्र उनकी उम्मीदवारी के खिलाफ जा रही है।
बीजेपी ने अभी नहीं किया उम्मीदवार का खुलासा
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर लोकसभा चुनाव के लिए यहां के राज्य प्रभारी हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक इस सीट से उम्मीदवार के नाम का खुलासा नहीं किया है। उन्होंने आईएएनएस से कहा, "हमारे दिमाग में बाड़मेर के लिए सही योजना है और हम सही समय पर इसका खुलासा करेंगे। हालांकि, फिलहाल यह अभी एक राज है।" इसबीच, हाल ही में बर्खास्त किए गए आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी ने आईएएनएस से बाड़मेर सीट से चुनाव लड़ने की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, "मैंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर लोकसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और आठ अप्रैल को अपना नामांकन दाखिल करूंगा, क्योंकि उसदिन मेरा जन्मदिन है। मैंने अपने कार्यकाल के दौरान इस क्षेत्र की सेवा की है और लोग यहां मेरे काम पर विश्वास करते हैं। इसलिए, मैंने इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।"
उन्होंने इसके साथ ही खुलासा किया कि भाजपा शुरुआती चरण में उनके नाम पर विचार कर रही थी। उन्होंने कहा, "यह आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन यह सच है कि भाजपा शुरुआत में मेरे नाम पर विचार कर रही थी, जोकि मेरे लिए भी आश्चर्यजनक बात थी।" चौधरी को मार्च के पहले सप्ताह में अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना दूसरी शादी करने के आरोप में पद से हटा दिया गया था। उन्होंने आरोपों से इनकार किया और इसे वसुंधरा राजे का व्यक्तिगत प्रतिशोध बताया। चौधरी ने कहा कि उनसे बसपा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और आप ने संपर्क की कोशिश की थी।
उन्होंने कहा, "फिलहाल मैं स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का विचार कर रहा हूं। हालांकि मैं इनमें से किसी भी पार्टी में शामिल हो सकता हूं, क्योंकि दूर-दराज के इलाकों में प्रचार करने के लिए मेरे पास फंड की कमी है।" बाड़मेर एक ऐसी सीट है, जहां आकांक्षाओं, उम्मीदों और वादों की कई रोचक कहानियां हैं, जो इस सीट को आगामी लोकसभा चुनाव में काफी महत्वपूर्ण बनाती हैं।
-आईएएनएस
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