अंतिम छोर तक किसान के खेत तक पानी पहुंचे, इस लक्ष्य के साथ काम करें अधिकारी: लोकसभा

बिरला ने कहा कि यह परियोजना न केवल हाड़ौती संभाग बल्कि राज्य के कई जिलों के लिए जीवनदायिनी सिद्ध होगी। उन्होंने बताया कि कोटा बैराज की दायीं व बायीं मुख्य नहरों और माइनरों को पक्का करने पर 2300 करोड़ रूपये खर्च होंगे, जिससे टेल तक पानी पहुँच सकेगा। सांगोद, लाडपुरा, करवर और रामगंजमंडी जैसे क्षेत्र जो अब तक सिंचाई से वंचित थे, उन्हें भी इस परियोजना में शामिल किया गया है। उन्होंने अधिकारियों को इस दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए।
बैठक में लोकसभा अध्यक्ष ने कोटा एवं बूंदी जिले में बनने वाले बैराज, बांध, फीडर और कृत्रिम जलाशयों के निर्माण की प्रगति की जानकारी ली और इन कार्यों में गति लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पेयजल से वंचित गांवों को परियोजना से जोड़कर वहां तक पानी पहुंचाया जाए और परियोजना से जुड़े सभी कार्य समयसीमा में पूरे हों।
ईआरसीपी कॉर्पाेरेशन के मुख्य अभियंता रवि सोलंकी ने परियोजना का विस्तृत प्रस्तुतिकरण देते हुए बताया कि संशोधित पीकेसी लिंक योजना से जयपुर, कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़, सवाई माधोपुर, टोंक, अजमेर, अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर, दौसा सहित 16 जिलों को लाभ मिलेगा। परियोजना में कूल, पार्वती, कालीसिंध, मेज और बनास नदियों पर रामगढ़, महलपुर, नवनेरा, मेज और नीमोद राठौड़ बैराज का निर्माण प्रस्तावित है। इसके अलावा ईसरदा और डंगरी में बांध तथा अजमेर और अलवर में कृत्रिम जलाशय बनेंगे। बीसलपुर बांध की जल क्षमता भी 0.50 मीटर बढ़ाई जाएगी।
कोटा जिले में कालीसिंध नदी पर नवनेरा बैराज का कार्य पूर्ण हो चुका है, जिसकी क्षमता 196.22 एमसीएम है। यहां से जल उपयोग हेतु नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना के तीन चरणों में कार्य किया जा रहा है। पैकेज-1 में रामगढ़, महलपुर बैराज और नवनेरा पंप हाउस; पैकेज-2 में डिलीवरी सिस्टम से मेज एनीकट तक फीडर एवं चंबल नदी पार करने हेतु एक्वाडक्ट का निर्माण और पैकेज-3 में मेज एनीकट पर इंटेक, पंप हाउस और फीडर तंत्र का कार्य शामिल है।
परियोजना के अंतर्गत 2.21 लाख हैक्टेयर नए सिंचित क्षेत्र का विकास और 1.52 लाख हैक्टेयर मौजूदा सिंचित क्षेत्र का पुनर्स्थापन होगा। उद्योगों के लिए भी जल उपभोग की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है।
बिरला ने निर्देश दिए कि चंबल नदी की दोनों मुख्य नहरों और कमांड एरिया की ड्रेनों की मिट्टी की सफाई शीघ्र पूर्ण की जाए। डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों को समुचित मुआवजा देने की प्रक्रिया पारदर्शी और संवेदनशील हो।
बैठक में ऊर्जा मंत्री हीरालाल नागर, कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा, प्रेम गोचर, संभागीय आयुक्त राजेन्द्र सिंह शेखावत, कोटा कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी, बूंदी कलक्टर अक्षय गोदारा, केडीए आयुक्त ऋषभ मंडल सहित कोटा-बूंदी क्षेत्र के जन प्रतिनिधि शामिल हुए।
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