डीग में कृषि सखियों के लिए प्राकृतिक खेती कौशल विकास प्रशिक्षण

केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. नवाब सिंह ने कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के असंतुलित उपयोग से जल, वायु और मृदा प्रदूषण जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, साथ ही मिट्टी का क्षरण हो रहा है और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी समस्याओं से निजात पाने का एकमात्र प्रभावी उपाय प्राकृतिक खेती है।
केन्द्र की वैज्ञानिक डॉ. प्रियंका जोशी ने प्रशिक्षण में भाग लेने वाले किसानों, विशेषकर महिलाओं को प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले महत्वपूर्ण जैविक खाद जैसे जीवामृत और बीजामृत बनाने की प्रायोगिक विधि का प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त कृषि प्रणाली है जिसमें स्थानीय रूप से उपलब्ध देसी गाय के गोबर, गौमूत्र और अन्य जैव संसाधनों का उपयोग करके विभिन्न प्रकार की जैविक खाद तैयार की जा सकती है।
डॉ. जोशी ने जोर देकर कहा कि प्राकृतिक और जैविक खाद को अपनाकर किसान भाई कम लागत में अपनी खेतों की मिट्टी के स्वास्थ्य और कार्बनिक पदार्थों में सुधार कर सकते हैं, साथ ही मिट्टी की नमी धारण करने की क्षमता, संतुलित पोषण, गुणवत्ता और उपज में भी वृद्धि कर सकते हैं। केन्द्र के यंग प्रोफेशनल राकेश कुमार ने भी कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों को प्राकृतिक खेती से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियां प्रदान कीं और उनका उत्साहवर्धन किया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य कृषि सखियों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों से परिचित कराना और उन्हें इस टिकाऊ कृषि पद्धति को अपनाने के लिए प्रेरित करना था, ताकि वे अपने खेतों में स्वस्थ और पर्यावरण-अनुकूल फसलें उगा सकें।
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