IIT मंडी और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के बीच MoU: चेतना और मानसिक कल्याण पर संयुक्त शोध को मिलेगा बढ़ावा

इस अवसर पर, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, "अब विज्ञान भी मानता है कि अध्यात्म का मन और चेतना पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ध्यान, सात्त्विक आहार और प्राणायाम के माध्यम से सुख की चेतना विकसित होती है।" उनके विचारों ने सम्मेलन के मुख्य विषय पर एक आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रदान किया।
आईआईटी मंडी के निदेशक और MBCC के जनरल चेयर प्रो. लक्ष्मिधर बेहरा ने सम्मेलन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "चेतना के बिना शरीर कुछ नहीं है। MBCC 2025 शिक्षा, नवाचार और भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित अंतःविषयी शोध के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करता है।" उन्होंने चेतना के अध्ययन को शिक्षा और नवाचार के लिए आवश्यक बताया।
IKSMHA केंद्र के अध्यक्ष प्रो. अर्नव भावसार ने केंद्र की गतिविधियों को साझा करते हुए बताया कि संस्थान ने हाल ही में स्लीप रिसर्च लैब की स्थापना की है। इसके अतिरिक्त, केंद्र DRDO और आयुष मंत्रालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ भी सहयोग कर रहा है, जो मानसिक स्वास्थ्य और भारतीय ज्ञान प्रणाली के एकीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
प्रसिद्ध इंडोलॉजिस्ट आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने MBCC को "ज्ञान का यज्ञ" बताते हुए इसकी सराहना की, जिसे छात्र संचालित कर रहे हैं और चेतना की रोशनी से पोषित कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण आयोजन के दौरान, आईआईटी मंडी और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस MoU का मुख्य उद्देश्य चेतना और मानसिक कल्याण से जुड़े क्षेत्रों में संयुक्त शोध को प्रोत्साहित करना है। यह सहयोग विज्ञान और आध्यात्मिकता के बीच एक सेतु का निर्माण करेगा, जिससे मानव मन और कल्याण के रहस्यों को समझने में मदद मिलेगी। यह पहल भविष्य में मानसिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए नए समाधान विकसित करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
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