जयपुर घराने के नृत्याचार्य राजकुमार जवड़ा की स्मृति में 10 दिवसीय नि:शुल्क कथक कार्यशाला 5 जून से

जयपुर। जयपुर कथक घराने द्वारा नृत्याचार्य पंडित राजकुमार जवड़ा की पुण्य स्मृति में एक विशेष दस दिवसीय नि:शुल्क कथक कार्यशाला का आयोजन 5 जून से 17 जून 2025 तक जयपुर में किया जा रहा है। जयपुर घराने की इस अनूठी पहल का उद्देश्य शास्त्रीय नृत्य में रुचि रखने वाले नवोदित कलाकारों और विद्यार्थियों को इस अद्भुत कला से न केवल परिचित कराना है बल्कि उन्हें इसके तकनीकी और भाव पक्ष का प्रारंभिक प्रशिक्षण भी देना है। यह कार्यशाला महेश नगर स्थित करतारपुरा के लाई सी अम् विद्यायपीठ परिसर में प्रतिदिन शाम पांच बजे से सात बजे तक आयोजित की जा रही है जहां प्रतिभागियों को न केवल व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलेगा बल्कि कथक नृत्य की परंपरागत शैलियों और इसके ऐतिहासिक महत्व की जानकारी भी दी जाएगी। इस कार्यशाला का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें प्रशिक्षण देने का जिम्मा स्वयं नृत्याचार्य पंडित राजकुमार जवड़ा के पुत्र और शिष्य चेतन कुमार जवड़ा संभाल रहे हैं जो जयपुर घराने की परंपरागत तकनीकी बारीकियों, तत्कार, तोड़े, टुकड़े, परण और भावाभिनय की मूलभूत जानकारी से प्रतिभागियों को परिचित कराएंगे ताकि वे नृत्य के इस प्राचीन और गरिमामयी स्वरूप की गंभीरता और गरिमा को आत्मसात कर सकें।
कार्यक्रम के आयोजक सुनील कुमावत और चेतन कुमार जवड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस कार्यशाला में भाग लेने के लिए किसी भी पूर्व प्रशिक्षण या योग्यता की आवश्यकता नहीं है यानी जो भी कथक में रुचि रखता है वह इस अवसर का लाभ उठा सकता है तथा इच्छुक विद्यार्थी सीधे विद्यालय पहुंचकर नि:शुल्क पंजीकरण कर सकते हैं। खास बात यह है कि दस दिन तक चलने वाली इस कथक कार्यशाला के अंतिम दिन एक भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन भी किया जाएगा जिसमें प्रतिभागी विद्यार्थियों द्वारा सीखे गए कौशल का प्रदर्शन होगा और इस अवसर पर उन्हें प्रमाण पत्र भी वितरित किए जाएंगे जिससे उनके आत्मविश्वास और भविष्य की नृत्य यात्रा को प्रोत्साहन मिलेगा। आयोजकों के अनुसार यह कार्यशाला केवल नृत्य सिखाने का माध्यम नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य स्वर्गीय नृत्याचार्य पंडित राजकुमार जवड़ा की कालजयी स्मृति को जीवित रखना भी है जिनके योगदान ने जयपुर कथक घराने को देश-विदेश में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है। ऐसे आयोजन से न केवल युवा पीढ़ी को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा से जुड़ने का अवसर मिलेगा बल्कि जयपुर घराने की विरासत भी आगे बढ़ेगी और इसकी उत्कृष्टता का संदेश नई पीढ़ी तक पहुंचेगा।
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