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मस्जिद में सिर्फ महिलाए पढती हैं नमाज,ऎसा क्यों

यहां तक की इस मस्जिद में होने वाली नमाज में भी पुरूष हिस्सा नहीं ले सकते
हैं। आमतौर पर देखा जाता है कि किसी भी मस्जिद में पुरूष इमाम होते हैं,
किसी भी तरह की घोषणा करते भी पुरूष ही करते हैं और अजान भी पुरूष देते
हैं। लेकिन डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में बनी इस मस्जिद में यह सभी
काम महिलाएं करेंगी।
टेलीग्राफ की एक खबर के मुताबिक इस मस्जिद की शुरूआत शेरीन खानकन नाम की महिला ने की है। शेरीन के पिता सीरियाई मुस्लिम हैं और मां इसाई हैं। शेरीन ने इस मस्जिद को मरियम नाम दिया है। यूं तो हर रोज महिलाएं और पुरूष मस्जिद की हर गतिविधि में एक साथ हिस्सा ले सकते है, लेकिन उन्हें शुक्रवार को जुमे की नमाज पढने का अधिकार नहीं है।
बताया जा रहा है कि इस मस्जिद में चार इमाम होंगे और ये चारों महिलाएं ही होंगी। शेरीन खुद भी इमाम की भूमिका अदा करेंगी। शेरीन डेनमार्क में जानी-मानी लेखिका हैं। शेरीन का मानना है कि इस्लाम ही नहीं बल्कि यहूदी, इसाई और अन्य धमोंü के संस्थानों में भी पितृसत्तात्मकता मौजूद है। इसे दूर करने के लिए ऎसे कदम उठाना जरूरी है।
टेलीग्राफ की एक खबर के मुताबिक इस मस्जिद की शुरूआत शेरीन खानकन नाम की महिला ने की है। शेरीन के पिता सीरियाई मुस्लिम हैं और मां इसाई हैं। शेरीन ने इस मस्जिद को मरियम नाम दिया है। यूं तो हर रोज महिलाएं और पुरूष मस्जिद की हर गतिविधि में एक साथ हिस्सा ले सकते है, लेकिन उन्हें शुक्रवार को जुमे की नमाज पढने का अधिकार नहीं है।
बताया जा रहा है कि इस मस्जिद में चार इमाम होंगे और ये चारों महिलाएं ही होंगी। शेरीन खुद भी इमाम की भूमिका अदा करेंगी। शेरीन डेनमार्क में जानी-मानी लेखिका हैं। शेरीन का मानना है कि इस्लाम ही नहीं बल्कि यहूदी, इसाई और अन्य धमोंü के संस्थानों में भी पितृसत्तात्मकता मौजूद है। इसे दूर करने के लिए ऎसे कदम उठाना जरूरी है।
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