Advertisement
मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने ब्रेस्ट मिल्क किया दान: जानें क्या है 'लिक्विड गोल्ड' का महत्व

'लिक्विड गोल्ड' समय से पहले जन्मे और बीमार नवजात बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए दिया गया है। इसमें शिशु के लिए आवश्यक हर पोषक तत्व, एंटीबॉडी, और एंजाइम होते हैं। मां के दूध में जीवाणुनाशक तत्व होते हैं, जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, और सबसे प्यारी बात यह है कि मां एक दिन में औसतन 25-30 मिलीलीटर अतिरिक्त दूध दान कर सकती है, जो एक शिशु की जरूरतों को पूरा कर सकता है।
आखिर पूरा प्रोसेस क्या है? दान किए गए दूध को पाश्चुराइज किया जाता है और फ्रीजर में 3 से 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। एक बहुत जरूरी बात, दात्री मां का पहले ब्लड टेस्ट किया जाता है। मां पूरी तरह से स्वस्थ होनी चाहिए और उसे एचआईवी या हेपेटाइटिस जैसी कोई गंभीर बीमारी या संक्रमण न नहीं होना चाहिए। दान के पहले मेडिकल स्क्रीनिंग जरूरी होती है। कुछ देशों में स्तन दूध की ऑनलाइन बिक्री भी होती है, लेकिन भारत में यह पूरी तरह मुफ्त और मानवता आधारित सेवा है, ठीक वैसे जैसे ज्वाला गुट्टा ने किया!
ज्वाला ने अप्रैल माह में बेटी को जन्म दिया। तभी से ये क्रम चालू है। 17 अगस्त को ही उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया था कि उनका दूध सिर्फ उनकी बच्ची के लिए नहीं, बल्कि उन बच्चों के लिए भी मददगार है जो जीवन की जंग लड़ रहे हैं—वो बच्चे जो समय से पहले जन्म लेते हैं और बीमार होते हैं। डोनर मिल्क जिंदगी बदल सकता है। अपनी इस पोस्ट के साथ कुछ तस्वीरें साझा की थीं जिसमें दूध के 70 पैकेट के साथ वो बैठी हुई दिखी थीं।
दरअसल, इस पहल का उद्देश्य है लोगों को 'दूध दान के बारे में जागरूक करना' और दूसरी माताओं को प्रेरित करना है कि वे भी इस मानवीय काम में हिस्सा लें।
दूध दान की परंपरा कोई नई नहीं है। भारत में 'धात्री मां' या 'दूध माता' का जिक्र सदियों पुरानी कहानियों में मिलता है। पुराने समय में जब किसी महिला को दूध नहीं आता था या वह बच्चा खो देती थी, तो दूसरी महिला अपने दूध से उस शिशु को पालती थी। यह एक 'पवित्र कर्तव्य' माना जाता था।
वैज्ञानिक रूप से, पहला आधिकारिक 'ह्यूमन मिल्क बैंक' 1909 में वियना में स्थापित किया गया था। तो भारत में पहला दूध बैंक 1989 में सायन हॉस्पिटल, मुंबई में शुरू किया गया। आज देश भर में दर्जनों दूध बैंक हैं, जो समय से पूर्व जन्मे और बीमार शिशुओं को जीवन दान देते हैं।
इस तरह का दान सिर्फ एक व्यक्तिगत जनहित का काम नहीं है, बल्कि समाज के लिए एक बड़ा संदेश है कि स्तन दूध सिर्फ एक मां के बच्चे के लिए नहीं, बल्कि जरूरतमंद नवजातों के लिए वरदान है। प्रीमेच्योर बच्चों के लिए मां का दूध जान बचाता है क्योंकि उनके इम्यून सिस्टम कमजोर होते हैं और बाहरी संक्रमणों का खतरा ज्यादा होता है।
गुट्टा ने एक अद्भुत मानवता की मिसाल पेश की है। वे एक जानी-मानी शख्सियत हैं जिनके इस कदम ने कइयों को इस अति महत्वपूर्ण दान की महत्ता समझाई है। इस दान ने समझाया है कि शब्दों में ममता नहीं बांधी जा सकती, लेकिन कभी-कभी कुछ बूंदें एक जिंदगी को नया सवेरा दे सकती हैं।
--आईएएनएस
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
यह भी प�?े
अजब गजब
Advertisement
Traffic
Features


