ऋषि चिंतन: हम सुधरें तो जग सुधरे

श्रेष्ठ शुभारंभ अपने घर से ही किया जाना चाहिए। घर का दीपक जलता है तो आंगन से लेकर पड़ोस तक में प्रकाश फैलाता है। दूसरों को प्रभावित करने, बदलने से पहले यदि उसी स्तर का स्वयं अपने को बना लिया जाए तो निश्चित रूप से आधी समस्या हल हो जाती है। अपनी और आँखें बंद रखी जाएँ और दूसरों को सुधारने समझाने के लिए निकल पड़ा जाए तो बात बनती नहीं, अभीष्ट सफलता मिलती नहीं। विफलता की ऐसी निराशा भरी घड़ी आने से पूर्व अच्छा यह है कि कम से कम अपने को तो उस स्तर का बना ही लिया जाए जैसा कि अन्यान्य लोगों को देखना चाहते हैं।
उपरोक्त प्रवचन पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित पुस्तक समग्र स्वास्थ्य संवर्धन कैसे ? पृष्ठ-27 से लिया गया है।
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