Patal Bhuvaneshwar Cave Reopens for Tourists and Devotees, Explore the Mystical Abode of Lord Shiva-m.khaskhabar.com
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Nov 13, 2025 11:24 am
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   राजस्थान, हरियाणा और पंजाब सरकार से विज्ञापनों के लिए मान्यता प्राप्त
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पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए खुली पाताल भुवनेश्वर गुफा, भगवान शिव का रहस्यलोक फिर हुआ साकार

khaskhabar.com: सोमवार, 13 अक्टूबर 2025 12:23 PM (IST)
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा अब एक बार फिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए खोल दी गई है। बीते दो महीनों से यह गुफा मॉनसून सीजन के कारण बंद थी। 11 अगस्त से 10 अक्टूबर तक यहां प्रवेश पर रोक लगाई गई थी, क्योंकि वर्षा के समय गुफा के भीतर फिसलन और ऑक्सीजन की कमी के चलते कई पर्यटकों की तबीयत बिगड़ गई थी। अब जब मौसम सामान्य हो चुका है, पुरातत्व विभाग और मंदिर कमेटी ने पूजा-अर्चना के साथ गुफा के द्वार फिर से खोल दिए हैं। भगवान शिव का अधिष्ठान और रहस्यमयी लोक पाताल भुवनेश्वर गुफा केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक रहस्यमय आध्यात्मिक लोक है, जहां भगवान शिव का अधिष्ठान माना जाता है। समुद्र तल से लगभग 1,350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह गुफा पिथौरागढ़ मुख्यालय से लगभग 90 किलोमीटर और गंगोलीहाट से मात्र 14 किलोमीटर की दूरी पर है। कहा जाता है कि इस गुफा के भीतर भगवान शिव, गणेश, पार्वती, नंदी और कई दिव्य आकृतियाँ चूना पत्थर से स्वाभाविक रूप से बनी हुई हैं। यहां से निरंतर शिव की जटाओं से गंगाजल की बूंदें टपकती रहती हैं, जो गुफा को और भी पवित्र बना देती हैं।

गुफा की बनावट और प्राकृतिक चमत्कार

पाताल भुवनेश्वर गुफा का प्रवेश द्वार बेहद संकरा और सर्पाकार है। एक बार में केवल एक ही व्यक्ति इसके अंदर प्रवेश कर सकता है। लगभग 90 फीट नीचे तक जाती यह गुफा करीब 160 मीटर लंबी है। भीतर जाते ही कई छोटे-छोटे कक्ष दिखाई देते हैं, जिनमें विभिन्न देवताओं की मूर्तियाँ और प्रतीक प्राकृतिक रूप से निर्मित हैं। कहा जाता है कि यह वही स्थान है, जहां राजा ऋतुपर्ण (त्रेता युग) ने सबसे पहले इस गुफा की खोज की थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भारत के चारों धाम — बदरीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी और रामेश्वरम — की झलक इस गुफा में एक साथ देखने को मिलती है।
पाताल तक पहुंचने का मार्ग और रहस्यलोक का अनुभव
इस गुफा के भीतर प्रवेश करना अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है। यात्रियों को कैंडल या टॉर्च की रोशनी में नीचे उतरना पड़ता है, क्योंकि गुफा का मार्ग अंधकारमय, घुमावदार और काफी फिसलन भरा होता है। इसलिए हर पर्यटक को स्थानीय गाइड के साथ ही गुफा में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है। जैसे-जैसे आप गहराई में उतरते हैं, आपको ऐसा महसूस होता है मानो आप धरती के भीतर किसी दिव्य संसार में प्रवेश कर रहे हों — जिसे ‘भगवान शिव का रहस्यलोक’ कहा जाता है।
स्थानीय लोगों और पर्यटन कारोबार में नई उम्मीदें
गुफा के दोबारा खुलने से स्थानीय व्यापारियों और होटल कारोबारियों में जबरदस्त उत्साह है। नवरात्रि और आगामी सर्दियों के मौसम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। कुमाऊं मंडल विकास निगम के चौकोड़ी और पाताल भुवनेश्वर गेस्ट हाउस में बुकिंग पहले ही तेज़ी से बढ़ रही हैं। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम सिंह भंडारी ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए गुफा में रोशनी और ऑक्सीजन मॉनिटरिंग जैसी नई व्यवस्थाएं की गई हैं।
कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर
यह गुफा सड़क मार्ग से आसानी से पहुंची जा सकती है। पिथौरागढ़, अल्मोड़ा या हल्द्वानी से बेरीनाग और गंगोलीहाट तक बस या टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है। सबसे नजदीकी हवाई अड्डा नैनी सैनी एयरपोर्ट (पिथौरागढ़) है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम (लगभग 210 किलोमीटर दूर) है। घूमने का सबसे उपयुक्त समय मार्च से जून और सितंबर से नवंबर तक माना जाता है, जब मौसम सुहावना रहता है और गुफा के भीतर का अनुभव सबसे अच्छा मिलता है।

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