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गंगा की भांति हमारी संस्कृति संपूर्ण मानवता का अधिकार है : डॉ. चिन्मय पंड्या

उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे इस अवसर को केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि लोकमंगल एवं युग निर्माण के उत्सव के रूप में मनाएँ। डॉ. पंड्या के प्रेरक उद्बोधन के पश्चात् सभी कार्यकर्ताओं ने युगधर्म की साधना में पूर्ण समर्पण के साथ योगदान देने का संकल्प व्यक्त किया।
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