‘यहां तक पहुंचने के लिए मेरी मां ने मेरा काफी सपोर्ट किया है’

सिमरनजीत ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा, मैंने 2010 में मुक्केबाजी शुरू की थी। उसके बाद से यहां तक का सफर काफी अच्छा रहा है। यहां तक पहुंचने के लिए मेरी मां ने मेरा काफी सपोर्ट किया है। उन्होंने शुरू से ही मेरी काफी मदद की है। मैं कहीं भी खेलती हूं, वह मुझे सपोर्ट करने के लिए पहुंच जाती हैं। पंजाब के पटियाला जिले की रहने वाली सिमरनजीत ने कहा, शुरू में मेरे पापा मुझे मुक्केबाजी में नहीं भेजना चाहते थे।
लेकिन मेरी मां ने उनसे काफी लड़-झगडक़र मुझे इस खेल में भेजा और फिर जब मैंने इसमें पदक जीतना शुरू कर दिया तो मेरे पापा भी मेरा सपोर्ट करने लगे। सिमरनजीत 2010 से ही मुक्केबाजी में भाग लेती आ रही हैं। उन्होंने 2018 विश्व चैम्पियनशिप में भी कांस्य पदक जीता था।
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