Vasundhara Raje sister and MP most active minister Yashodhara Raje will not contest elections, party asked to reconsider.-m.khaskhabar.com
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वसुंधरा राजे की बहन व एमपी की सबसे एक्टिव मंत्री यशोधरा राजे नहीं लड़ेंगी चुनाव

khaskhabar.com: शुक्रवार, 29 सितम्बर 2023 11:56 AM (IST)
वसुंधरा राजे की बहन व एमपी की सबसे एक्टिव मंत्री यशोधरा राजे नहीं लड़ेंगी चुनाव
भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार की सबसे लोकप्रिय व सक्रिय मंत्री और वसुंधरा राजे की बहन यशोधरा राजे ने आगामी विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। बताया गया है कि स्वास्थ्य कारणों की वजह से यह निर्णय किया गया है। ग्वालियर से जारी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यशोधरा राजे ने विधिवत रूप से पार्टी केंद्रीय व प्रदेश नेतृत्व को इस बारे में बता दिया है।



सूत्रों के मुताबिक पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए कहा परंतु वह चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कई और मंत्री भी चुनाव लड़ने से इनकार कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने अगस्त के महीने में ही चुनाव नहीं लड़ने का फैसला कर लिया था। यशोधरा राजे सिंधिया मध्य प्रदेश की शिवपुरी विधानसभा से विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक यशोधरा राजे सिंधिया की ओर से खराब स्वास्थ्य इसका मुख्य कारण बताया गया है। वह चार बार कोविड-19 का शिकार हो चुकी है। अब शारीरिक तौर पर परिश्रम करने की स्थिति में नहीं है। चुनाव की भाग दौड़ नहीं कर पाएंगी। उन्हें कम से कम 5-6 महीने आराम की जरूरत है।


राजनीतिक गलियारों में क्या चल रहा है

पार्टी सूत्रों का दावा है कि लोकसभा चुनाव 2019 में जो हश्र श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का हुआ है विधानसभा चुनाव 2023 में वही हश्र यशोधरा राजे सिंधिया का भी होने वाला है। शिवपुरी विधानसभा में जबरदस्त विरोध देखा जा रहा था। उन्होंने परिस्थितियों को अपने अनुकूल करने की हर संभव कोशिश की, परंतु सफल नहीं हो पाई। विधानसभा क्षेत्र में उनके कट्टर विरोधी नेता (जो भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों में है) एकजुट होने लगे थे। उनके कई वफादार और विश्वास नहीं है समर्थक उनके साथ छोड़ चुके हैं।

उधर, राजधानी में भाजपा के नेताओं का कहना है कि यशोधरा राजे सिंधिया मध्य प्रदेश की सबसे एक्टिव मंत्री हैं और स्वास्थ्य की कोई बड़ी समस्या नहीं है परंतु संगठन उनके लिए बड़ी समस्या है। परिश्रम करने के बावजूद ना तो सरकार में और ना ही संगठन में उन्हें कोई महत्व मिला।

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