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अब रिज़ल्ट खराब? तो होगी गुरु जी की सैलरी जब्त

khaskhabar.com: शनिवार, 17 मई 2025 12:20 PM (IST)
अब रिज़ल्ट खराब? तो होगी गुरु जी की सैलरी जब्त
चंडीगढ़। क्या आपने कभी सोचा है कि जब बच्चा फेल होता है तो उसे ही क्यों दंडित किया जाता है? क्या उसके स्कूल, उसके शिक्षक और उसके पढ़ाई के माहौल की जिम्मेदारी उसके परिणाम के लिए नहीं है? हरियाणा सरकार अब इस सवाल के समाधान पर विचार करने के बजाय एक्शन मोड में आ गया है।

फेल का शतक! कटघरे में 100 स्कूल
हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की रिपोर्ट में ऐसे दस स्कूल सूचीबद्ध किए गए हैं, जिनका 12वीं का बोर्ड परिणाम 35% से भी कम रहा। 14 सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जिनका परिणाम 15% से भी कम रहा! यह भी गौर करें कि इनमें से कई संस्थानों का परिणाम 0 से 20% के बीच अटका रहा।
फेल छात्र या फेल टीचर?
सरकारी स्कूलों के लिए सीधे पारिश्रमिक में कटौतीएक महीने से सरकार ने इन सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के पारिश्रमिक में कटौती करने का संकल्प लिया है। और यह कोई धोखा नहीं है; बल्कि, यह इस बात का मजबूत संकेत है कि शिक्षा के नाम पर आलस्य बर्दाश्त नहीं किया जा रहा है।
कटघरे में अब प्राइवेट स्कूल
ऐसा मत मानिए कि केवल सरकारी स्कूलों को ही दंडित किया जा रहा है। इन 100 स्कूलों में से कई निजी संस्थान हैं जो मासिक फीस लेते हैं, किताबों के लिए पैसे जुटाते हैं, फिर भी जमीनी स्तर पर शिक्षा के क्षेत्र में कुछ भी असाधारण नहीं कर पाते हैं। इसके अलावा, बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. पवन कुमार ने विशेष रूप से कहा कि खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकांश स्कूल निजी हैं।
नतीजों में नूंह की हार
सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इन खराब प्रदर्शन करने वाले स्कूलों में से आधे से अधिक नूह जिले के हैं। वहां के 7,588 विद्यार्थियों में से केवल 3,472 ही पास हुए, 1,758 को कंपार्टमेंटलाइजेशन मिला और 2,358 फेल हुए। क्या इसका दोष केवल विद्यार्थियों पर है? बिल्कुल नहीं।
सीएम सैनी का सख्त संदेश:
दिल्ली से लौटकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया और बैठक में साफ कहा कि जिन्होंने ईमानदारी से काम नहीं किया, उनके खिलाफ कार्रवाई जरूरी है। बच्चों के भाग्य से कोई नहीं खेलेगा।
बदलेंगे क्या स्कूल के दिन?
अगर सरकार गंभीरता से इस पहल को शुरू करती है तो स्कूलों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। सिर्फ "परिणाम आएंगे, तो ठीक है" वाली मानसिकता अब नहीं चलेगी। शिक्षकों को भी यह समझना होगा कि सिर्फ किताबें पढ़ना और कक्षा में उपस्थिति जांचना ही काफी नहीं है; उन्हें वास्तव में बच्चों को निर्देशित, निर्देश और तैयार करना चाहिए।
फैसला अब आपके हाथ
स्कूल चलाना एक व्यवसाय से ज्यादा कुछ नहीं रह गया है। या क्या वास्तव में कोई ऐसा स्कूल है जो हर बच्चे को एक बेहतर इंसान बनाने को महत्व देता है?

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