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एकल पट्टा मामले में क्लीनचिट देकर सरकार का यू-टर्न : पूर्व मंत्री धारीवाल, जीएस संधू, दिवाकर समेत तीन अधिकारियों के खिलाफ दायर किया एफिडेविट
पहले दी गई क्लीन चिट, फिर बदला फैसला
छह महीने पहले, जब सरकार ने सभी आरोपियों को क्लीन चिट दी थी, तब यह कहा गया था कि एकल पट्टा प्रकरण में कोई मामला नहीं बनता है। लेकिन अब, सरकारी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया है कि एसीबी की पहले की क्लोजर रिपोर्टों में सभी तथ्यों को शामिल नहीं किया गया था, और उन्होंने यह भी दावा किया कि वरिष्ठ अधिकारियों से सलाह नहीं ली गई थी।
एसीबी ने इस प्रकरण में 2014 से ही जांच शुरू की थी, और 2013 में तत्कालीन एसीएस जीएस संधू, डिप्टी सचिव निष्काम दिवाकर, और जोन उपायुक्त ओंकारमल सैनी जैसे अधिकारियों की गिरफ्तारी की गई थी। फिर भी, सरकार की ओर से उन्हें क्लीन चिट दिए जाने के बाद, इस मामले की गंभीरता को फिर से नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
अदालती निर्णयों का असर
हाईकोर्ट ने पहले एसीबी की दो क्लोजर रिपोर्टों को खारिज कर दिया था, और राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ केस वापस लेने की कार्रवाई को सही ठहराया। लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट में मामला तूल पकड़ रहा है। परिवादी रामशरण सिंह की मृत्यु के बाद, उनके बेटे सुरेंद्र सिंह ने भी केस वापस लेने की सहमति दी थी, लेकिन यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार का यह मामला सिर्फ व्यक्तिगत स्तर पर नहीं बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
जनहित बनाम राजनीतिक लाभ
भ्रष्टाचार के खिलाफ यह लड़ाई केवल शिकायतकर्ताओं तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। आरटीआई एक्टिविस्ट अशोक पाठक ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एसएलपी में सही ही कहा है कि राज्य सरकार की ओर से आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस को वापस लेना जनहित में नहीं है। इससे यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचार को नजरअंदाज किया जा सकता है, जो समाज में गलत संकेत भेजता है।
इस प्रकरण से स्पष्ट है कि राजनीतिक आकाओं के दखल से भ्रष्टाचार के मामलों की जांच प्रभावित हो रही है। एकल पट्टा प्रकरण केवल एक उदाहरण है, जहां भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं और इसे खत्म करने की आवश्यकता है। अगर सरकार सच में ईमानदारी से काम करना चाहती है, तो उसे न केवल मामले की गहराई में जाना होगा, बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी निभाना होगा। क्या राजस्थान सरकार इस बार सच में बदलाव लाएगी, या यह सिर्फ एक और राजनीतिक ड्रामा है? समय बताएगा।
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