कजरी, चैती लोकगीत भारतीय संस्कृति की अनुपम धरोहर: मालिनी अवस्थी

मालिनी अवस्थी ने कहा कि कलाकार जैसा सोचता है, जैसा जीवन जीता है, वैसा ही समाज को देने का प्रयास करता है। भाषणबाजी करने के बजाय लोकगीतों को गाकर सब कुछ कह देने की अनूठी कला हमारे पूर्वजों के पास थी। नई पीढ़ी को प्राचीन संस्कृति से रूबरू कराने का यह बहुत अच्छा माध्यम है। नये जमाने की चकाचौंध में युवा पीढ़ी प्राचीन संस्कृति एवं लोककलाओं को भूलती जा रही है।
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