दिल्ली चुनाव हारने के बाद बिहार-बंगाल में बढ़ सकती हैं BJP की मुश्किलें, ये हैं कारण

बिहार में संभवत: इसी साल अक्टूबर में, तो पश्चिम बंगाल में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार में पार्टी की योजना सहयोगी जद(यू) के बराबर सीट हासिल करने की है। मगर ताजा नतीजे ने पार्टी को उलझा दिया है। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि राज्य में पार्टी के पास कद्दावर नेता न होने के साथ ही विधानसभा चुनाव में लगातार हार के बाद भाजपा दबाव में होगी और जद(यू) से बहुत अधिक मोलभाव करने की स्थिति में नहीं होगी।
वैसे भी जद(यू) इस चुनाव से पहले ही भाजपा की तुलना में अधिक सीटें मांग रही है। दूसरी ओर लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में बेहतरीन प्रदर्शन कर भाजपा ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था। तब राज्य में ब्रांड मोदी का जादू चला था। हालांकि अब राज्यों में स्थानीय कद्दावर नेताओं के बिना पार्टी का काम नहीं चल रहा।
एक सूत्र का कहना है, पार्टी की समस्या यह है कि राज्य में उसके पास मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कद का भी कोई स्थानीय नेता नहीं है। सीएए के खिलाफ अल्पसंख्यक वर्ग की एक पार्टी के पक्ष में गोलबंदी से तृणमूल कांग्रेस की स्थिति राज्य में मजबूत हो सकती है। राज्य में 28 प्रतिशत अल्पसंख्यक मतदाता हैं।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
प्रमुख खबरें
Advertisement
Traffic
Features
