नौतपा 2025: चिलचिलाती गर्मी के नौ दिन, जानें इसका धार्मिक महत्व और जीवन पर प्रभाव

ज्योतिषीय आधार और वैज्ञानिक कारण
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जब सूर्य देवता रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तब पृथ्वी पर सूर्य की ऊष्मा सीधी पड़ती है। इस स्थिति में सूर्य के तेज में अत्यधिक वृद्धि होती है जिससे तापमान काफी बढ़ जाता है। यही कारण है कि नौतपा को वर्ष का सबसे गर्म समय माना जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इस अवधि में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में सीधी पड़ती हैं, जिससे गर्मी अधिक महसूस होती है।
नौतपा का धार्मिक महत्व
नौतपा केवल एक मौसमीय घटना नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दौरान सूर्य देव की पूजा, जलदान, शरबत, छाते, मिट्टी के मटके और ठंडी चीजों का दान करना पुण्यदायी माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से न केवल व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक संतुलन भी प्राप्त होता है।
क्या करें और क्या न करें
क्या करें:
• रोज़ सुबह सूर्य को जल अर्पित करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
• जरूरतमंदों को जल, फल, शीतल पेय, छाता या पंखा दान करें।
• हल्का और ठंडा भोजन करें जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहे।
क्या न करें:
• इस अवधि में मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन न करें।
• अत्यधिक मसालेदार भोजन से परहेज़ करें जिससे पाचन तंत्र पर भार न पड़े।
• विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य टालें क्योंकि यह समय शुभ नहीं माना जाता।
• गर्म प्रकृति की वस्तुएं जैसे बैंगन का सेवन न करें।
वर्षा से संबंध
ग्रामीण मान्यताओं के अनुसार, यदि नौतपा के दौरान बारिश नहीं होती है, तो वर्षा ऋतु में अच्छी वर्षा की संभावना होती है। वहीं, यदि नौतपा में ही वर्षा हो जाए तो आगे चलकर सूखे की स्थिति बन सकती है। इसलिए किसान भी इस समय पर विशेष ध्यान देते हैं।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।
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