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‘जब मैं रीहैबिलिटेशन से गुजर रही थी तब अकेली बैठकर रोया करती थीं’
नई दिल्ली। साइखोम मीरबाई चानू के लिए 18 अप्रैल से शुरू हो रही एशियन भारोत्तोलन चैम्पियनशिप एक अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट से कहीं ज्यादा है। उनके लिए निंगबो (चीन) चैम्पियनशिप एक और मौका होगी जब वे अपने दर्द से बाहर निकलकर आगे बढऩा चाहेंगी, उस दर्द को जिसने उन्हें कई बार आगे बढऩे से रोका। मीराबाई ने आईएएनएस से कहा कि मैंने एशियन चैम्पियनशिप के लिए अपने लिए कुछ गोल तय किए हैं जिनमें से सबसे बड़ा 200 किलोग्राम भारवर्ग से ज्यादा के भार को उठाना है।
मैं पटियाला में विजय शर्मा के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग कर रही थी और ऐसा कोई कारण नहीं है कि मैं चीन में ऐसा न कर पाऊं। यह मेरे करियर में टर्निंग प्वाइंट हो सकता है। आमतौर पर 48 किलोग्राम भारवर्ग में उतरने वाली मीराबाई को अपनी श्रेणी में तब बदलाव करना पड़ा जब अंतराष्ट्रीय महासंघ ने इस भारवर्ग को ओलम्पिक सहित कई बड़े अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में बदलकर 49 किलोग्राम भारवर्ग करने का फैसला किया।
मणिपुर की इस खिलाड़ी को उम्मीद है कि वे 2020 टोक्यो ओलम्पिक में नए भारवर्ग में पदक अपने नाम करेगी। अमेरिका में 2017 में हुई विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम करने वाली इस खिलाड़ी को भारत सरकार ने पद्मश्री व राजीव गांधी खेल रत्न से भी नवाजा है। हालांकि, उनकी किस्मत ने उन्हें कई बार दगा भी दिया और मई 2018 से वे चोट से जूझ रही हैं। बीते आठ महीनों से वे बाहर बैठी हुई हैं।
अपनी चोट के बारे में उन्होंने कहा कि मैं अब उस चोट से पूरी तरह से बाहर आ गई हूं, लेकिन मुझे अभी भी वो दबाव के पल याद हैं। जब मैं चोटिल हो गई थी और रीहैबिलिटेशन से गुजर रही थी तब मैं अकेली बैठकर रोया करती थी। मेरे लिए कुछ भी सही नहीं चल रहा था। मेरी रिकवरी धीमी हो रही थी। मैं नहीं जानती थी कि मैं वापसी कर पाऊंगी या नहीं।
मैं पटियाला में विजय शर्मा के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग कर रही थी और ऐसा कोई कारण नहीं है कि मैं चीन में ऐसा न कर पाऊं। यह मेरे करियर में टर्निंग प्वाइंट हो सकता है। आमतौर पर 48 किलोग्राम भारवर्ग में उतरने वाली मीराबाई को अपनी श्रेणी में तब बदलाव करना पड़ा जब अंतराष्ट्रीय महासंघ ने इस भारवर्ग को ओलम्पिक सहित कई बड़े अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में बदलकर 49 किलोग्राम भारवर्ग करने का फैसला किया।
मणिपुर की इस खिलाड़ी को उम्मीद है कि वे 2020 टोक्यो ओलम्पिक में नए भारवर्ग में पदक अपने नाम करेगी। अमेरिका में 2017 में हुई विश्व चैम्पियनशिप का खिताब अपने नाम करने वाली इस खिलाड़ी को भारत सरकार ने पद्मश्री व राजीव गांधी खेल रत्न से भी नवाजा है। हालांकि, उनकी किस्मत ने उन्हें कई बार दगा भी दिया और मई 2018 से वे चोट से जूझ रही हैं। बीते आठ महीनों से वे बाहर बैठी हुई हैं।
अपनी चोट के बारे में उन्होंने कहा कि मैं अब उस चोट से पूरी तरह से बाहर आ गई हूं, लेकिन मुझे अभी भी वो दबाव के पल याद हैं। जब मैं चोटिल हो गई थी और रीहैबिलिटेशन से गुजर रही थी तब मैं अकेली बैठकर रोया करती थी। मेरे लिए कुछ भी सही नहीं चल रहा था। मेरी रिकवरी धीमी हो रही थी। मैं नहीं जानती थी कि मैं वापसी कर पाऊंगी या नहीं।
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