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महिला सुरक्षा : दर्पण झूठ न बोले
जहाँ स्वार्थ और मुफ़्तख़ोरी का बोल बाला न हो। परन्तु इस वास्तविकता के बावजूद सुबह से शाम तक पूरे देश में बड़े बड़े पेशेवर प्रवचन कर्ताओं के सत्संग आयोजित होते रहते हैं। देश के लाखों मंदिरों मस्जिदों व अन्य सभी धर्मस्थलों से भजन कीर्तन आरती अज़ान भजन शब्द प्रेयर आदि की आवाज़ें सुनाई देती हैं। विभिन्न धर्मों व समुदायों के धार्मिक जुलूस सड़कों पर उतर कर अपने धार्मिक होने का प्रदर्शन करते रहते हैं। कन्याओं की पूजा भी शायद हमारे देश के सिवा और कहीं नहीं की जाती। देवियों की परिकल्पना भी शायद सिर्फ़ हमारे ही देश में की गयी है। परन्तु हक़ीक़त तो बिल्कुल इससे विपरीत है।
नारी शोषण तथा नारी अत्याचार की जितनी घटनाएं बल्कि जितनी घिनौनी और वीभत्स घटनाएं हमारे देश में होती हैं उतनी कहीं नहीं होतीं। और इससे भी शर्मनाक बात यह कि बलात्कारियों व हत्यारों को सत्ता का संरक्षण मिलते हुए भी देखा जा सकता है। पिछले दिनों तो ऐसी अनेक घटनाएं देश में घटीं जिन्हें सुनकर यह सोचने के लिए मजबूर होना पड़ा कि जब संभ्रांत व अभिजात वर्ग की महिलाओं का यह हाल है, वे तक सुरक्षित नहीं फिर आख़िर साधारण परिवार की या ग़रीब घरों की कन्याओं की सुरक्षा की बात कैसे सोची जा सकती है?
कोलकाता में गत अगस्त माह में आरजी कर मेडिकल कॉलेज की छात्रा के साथ उसी अस्पताल के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पहले बलात्कार किया गया उस के बाद उसकी हत्या कर दी गयी। चूँकि मामला बंगाल राज्य का था इसलिए इस मामले में विरोध प्रदर्शन का स्तर काफ़ी ऊँचा रहा। इतना ऊँचा कि लंबे समय तक राज्य के डॉक्टर्स हड़ताल पर रहे। ख़बरों के मुताबिक़ डॉक्टरों की इसी हड़ताल के दौरान राज्य भर में 23 मरीज़ों की जान भी चली गयी।
इसी प्रकार 15 सितंबर को एक सैन्य अधिकारी की मंगेतर के साथ ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित भरतपुर पुलिस स्टेशन में पहले बदसलूकी की उसका यौन-उत्पीड़न किया, फिर आर्मी ऑफ़िसर को लॉकअप में बंद कर दिया। हद तो यह है कि पीड़िता के अनुसार थाने में मौजूद पुलिस अधिकारी ने पहले उसके हाथ-पैर बांधे फिर उसके कपड़े उतारे उसके बाद एक पुरुष पुलिस अधिकारी ने उनके अंडरगारमेंट उतारे, फिर छाती पर लातें मारीं। उसके बाद जब थाने में इंस्पेक्टर-इन-चार्ज पहुंचा तो उसने पीड़ित की पैंट नीचे कर उसे अपना प्राइवेट पार्ट दिखाया और अश्लील बातें कीं। हालांकि इस मामले के हाई प्रोफ़ाइल हो जाने के बाद 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड होने की ख़बर ज़रूर है परन्तु इस सवाल से कैसे मुंह मोड़ा जा सकता है कि एक शिक्षित महिला अपने सैन्य अधिकारी मंगेतर के साथ जब सुरक्षित नहीं फिर आख़िर साधारण महिलाओं की इज़्ज़त आबरू की कौन सी गारंटी? ख़बर यह भी है कि इस घटना के बाद सेना में भी रोष पैदा हो गया था। याद कीजिये गत वर्ष 30 अगस्त को एक बावर्दी महिला कांस्टेबल ख़ून से लथपथ हालत में अयोध्या स्टेशन के क़रीब सरयू एक्सप्रेस में बर्थ के नीचे छुपी मिली थी। यानी चलती ट्रेन में दुस्साहसी अपराधियों ने उसकी वर्दी की परवाह किए बिना उस पर हमला बोल दिया था। बाद में पुलिस द्वारा दावा किया गया कि घटना के 20 दिन बाद ही आरोपी को यूपी पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया। इसी तरह विभिन्न सरकारी कार्यालयों से ख़बरें आती हैं कि कार्यालय के वरिष्ठ या दबंग क़िस्म के लोग अपनी अधीनस्थ महिला कर्मियों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं।
उत्तर प्रदेश के पीडब्ल्यूडी विभाग का ऐसा ही एक मामला तो इस वक़्त काफ़ी चर्चित हो गया है जिसमें सह कर्मचारियों द्वारा एक महिला को डरा धमकाकर कई बार बलात्कार किया गया। वह गर्भवती हो गयी और कोविड के दौरान उसकी मौत भी हो गयी। धर्मस्थान व धर्मगुरु तो नारी शोषण बलात्कार को लेकर तो कुछ ज़्यादा ही चर्चा में रहते हैं। कहीं मंदिर में बलात्कार की ख़बरें आती हैं। कहीं कोई पुजारी पकड़ा जाता है।
हद तो यह है कि पिछले दिनों अयोध्या के नवनिर्मित राम जन्म भूमि मंदिर में वहां की एक सफ़ाई कर्मी महिला के साथ वहां कार्यरत लोगों द्वारा बलात्कार किए जाने की ख़बर आ गयी। उससे अधिक पवित्र, सुरक्षित व सम्मानित स्थान और किसे कहा जाये? कुछ समय पूर्व ग़ाज़ियाबाद ज़िले में पड़ने वाली गंग नहर के किनारे स्थित एक मंदिर में वहां के महंत द्वारा महिलाओं के कपड़े बदलने वाले हिस्से में एक गुप्त कैमरा लगाया गया था। इस कैमरे को महंत अपने मोबाईल फ़ोन में देखता रहता था। और कई नग्न महिलाओं की क्लिप को बार बार देखा करता था। पता चलने पर उसकी शिकायत हुई वह गिरफ़्तार हुआ तथा तमाम आपत्तिजनक वीडिओ क्लिप उसके मोबाइल से बरामद की गयी।
इसी तरह मध्य प्रदेश के इंदौर में तेजाजी नगर के एक मंदिर में एक पुजारी के घिनौने कृत्य का पर्दाफ़ाश हुआ। यहाँ एक 35 वर्षीय पुजारी ने एक 21 साल की युवती के साथ मंदिर में बने कमरे में ही दुष्कर्म कर डाला। इतना ही नहीं बल्कि पुजारी ने दुष्कर्म करने के बाद न केवल युवती को धमकाया बल्कि वह युवती के पिता पर इस बात के लिए दबाव भी बनाया करता था कि वह अपनी बेटी को रोज़ मंदिर भेजा करे। देश के किसी न किसी कोने से आए दिन ऐसी कई घटनाएं रोज़ होती रहती हैं। यहाँ तक कि मासूम किशोरियों को भी भेड़िये मानसिकता के लोग नहीं बख़्शते।
दरअसल जहाँ लोगों की विकृत मानसिकता इन घटनाओं के लिये ज़िम्मेदार है वहीँ बलात्कारियों को मिलने वाला सत्ता का प्रश्रय व सहयोग भी इसके लिये कम ज़िम्मेदार नहीं। कहीं आजीवन कारावास काट रहे किसी हत्यारे बलात्कारी को अपने राजनैतिक लाभ के लिये चार साल में रिकार्ड 15 बार पेरोल दे दी जाती है तो कहीं सामूहिक बलात्कारियों व हत्यारों को सत्ता द्वारा चरित्र प्रमाण पत्र देकर जेल से रिहा करवा दिया जाता है। महिला सुरक्षा को लेकर सरकार जो चाहे दावे करे या अपनी पीठ थपथपाये परन्तु सच तो यही है कि दर्पण कभी भी झूठ नहीं बोलता।
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अंबाला
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