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साप्ताहिक कॉलमः दीवारों के कान
राजस्थान में मुखिया जी निश्चिंत हैं। चाहे ईडी आए अथवा इनकम टैक्स आए। क्योंकि सबूत मिलेंगे तो ही ठोस कार्रवाई हो पाएगी। बीजेपी वाले भी करप्शन के मुद्दे उठा-उठाकर थक लिए हैं। मुखिया जी ने बीते दिनों बड़ा बयान दिया कि ईडी को सोना चांदी मिला, रुपये मिले। लेकिन, क्या किसी अफसर को गिरफ्तार कर पाई है। मामला था जल जीवन मिशन में जुड़े भ्रष्टाचार का था। डीओआईटी का मामला भी ईडी देख रही है। लेकिन, अभी तक एक भी बड़ी मछली हत्थे नहीं चढ़ी है। इसलिए मुखिया जी भी खुश हैं कि ईडी कुछ नहीं कर पाई है। इससे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मौका मिलेगा कि वह भाजपा को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर करारा जवाब दे पाएगी। क्योंकि केंद्र में भाजपा की सरकार औऱ ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी एजेसिंयां कब्जे में होने के बावजूद भ्रष्टाचार का एक मामला साबित नहीं कर पाई। यह बिलकुल ठीक वैसे ही जैसे पिछले कार्यकाल में वसुंधराराजे शासन का भ्रष्टाचार मुखिया जी माथुर जांच आयोग बनाकर भी साबित नहीं कर पाए थे। अब यह बात अलग है कि घर में ही विपक्ष पैदा हो गया है। मुखिया जी को साढ़े चार साल से कांग्रेस के विधायक ही भ्रष्टाचार के मामले में घेरते रहे हैं। हाड़ौती के एक विधायक ने तो सिर तक मुंडवा लिया। लेकिन, मुखिया जी के संरक्षण वाले कैबिनेट मंत्री का बाल बांका तक नहीं हुआ।
सरकार के आंख की किरकिरी बनी दोनों मेयर
राजधानी जयपुर की दोनों मेयर सरकार की किरकिरी बनी हुई हैं। भ्रष्टाचार के मामले में दोनों को निलंबित होना पड़ा। वो तो भला हो हाईकोर्ट का। जिसकी कृपा से फिर कुर्सी मिल गई। लेकिन, नगर निगम हेरिटेज की मेयर मुनेश गुर्जर ज्यादा दिन तक कुर्सी पर नहीं रह पाईं। न्यायिक जांच विचाराधीन होने और उसे प्रभावित किए जाने की आशंका जताते हुए राज्य सरकार ने उन्हें रात के समय फिर सस्पेंड कर दिया। न्यायिक जांच को भी कोई व्यक्ति प्रभावित कर सकता है, पहली बार सरकार ने ऐसी आशंका जताई है। क्योंकि आमतौर बड़े-बड़े आंदोलनों को न्यायिक जांच कराए जाने के नाम पर ही सरकारें खत्म करवाती रही हैं। विपक्ष भी सरकार पर अविश्वास होने की स्थिति में न्यायिक जांच की ही मांग करता है। खैर, दुबारा सस्पेंड करने की वजह न्यायिक जांच नहीं बल्कि कैबिनेट मंत्री जी की नाराजगी है। क्योंकि मेयर मुनेश के बेटे ने अपने मम्मी-पापा को करप्शन में फंसाने का आरोप मंत्री जी पर लगाकर वीडियो जो वायरल कर दिया था। माफी मांगने से आरोप तो नहीं धुल जाता। इसलिए सस्पेंड होना पड़ा।
चुप रहने में ही भलाई है, चुनाव में बयान कहीं उलटा न पड़ जाए
कैबिनेट मंत्री रह चुके, पीसीसी चीफ रह चुके और अब बीसूका उपाध्यक्ष पद पर सुशोभित डॉक्टर साहब आजकल मीडिया कर्मियों से कन्नी काट लेते हैं। इससे पहले हर मीटिंग को लेकर खुद मीडिया कर्मियों को बुला लेते थे। लंबी-लंबी बाइट देकर खुद का इंटरव्यू छपवा लेते थे। हर मुद्दे पर डॉक्टर साहब अपना बयान दे देते थे, चाहे वह सरकार की नीति के खिलाफ ही क्यों ना हो। लेकिन, आजकल डॉक्टर साहब रूटीन मीटिंगों पर भी बयान देने से कतरा जाते हैं। खास खबरी ने पड़ताल की तो पता चला कि चुनाव का वक्त है और कोई बयान उल्टा नहीं पड़ जाए। इसलिए चुप रहने में ही भलाई है। पहले ही डॉक्टर साहब की मीटिंगों से अफसर कन्नी काट जाते हैं। अब डॉक्टर साहब खुद भी कन्नी काटने लगे हैं। इससे अब मीडिया वाले भी परेशान है, एक ही नेता था जो खुलकर सभी मुद्दों पर बात कर लेता था, अब तो बड़बोला प्रताप ही बचा है ।
आरक्षण के बाद महिला दावेदारों की उम्मीदें बढ़ी
केंद्र सरकार ने नई संसद में महिला आरक्षण बिल पास कर दिया है। बिल लागू कब होगा, इस बारे में किसी को मालूम नहीं है। लेकिन, राजस्थान में आने वाले विधानसभा चुनावों में महिला दावेदारों की संख्या बढ़ती जा रही है। खासतौर पर भाजपा में क्योंकि भाजपा अब महिला दावेदारों पर फोकस कर रही है। राजस्थान की 200 सीटों पर अब महिलाओं ने दावेदारी करना शुरू कर दिया है। इससे कांग्रेस की भी परेशानी बढ़ गई है। भाजपा में महिलाएं चुनौती देने जा रही है क्योंकि अगर विधानसभा चुनावों में पर्याप्त महिलाओं को टिकट नहीं दिया गया तो आने वाले लोकसभा चुनावों में विपरीत असर पड़ सकता है। महिलाओं के मुद्दे पर अब भाजपा को फूंक-फूंक कर कदम रखना है। यही वजह है कि भाजपा अब वसुंधरा राजे पर भी सही फैसला करने वाली है।
-खास खबरी (नोटः इस कॉलम में हर सप्ताह खबरों के अंदर की खबर, शासन-प्रशासन की खास चर्चाएं प्रकाशित की जाती हैं)
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