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उत्तरप्रदेश कोरोनासंकट: बांदा में 18 लोग मस्जिद से निकाल कृषि विश्वविद्यालय में बने एकांतवास में भेजे गए

खुटला मस्जिद के मौलाना मो.आरिफ ने बताया कि ये सभी लोग 21 मार्च को उरई से बांदा आए थे और पहले 22 मार्च को जनता कर्फ्यू, फिर 25 मार्च के बाद लॉकडाउन घोषित होने की वजह से कहीं नहीं जा पाए। सभी प्रशासनिक अधिकारियों की जानकारी में रुके थे।
उन्होंने प्रशासन पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पहली बार 31 मार्च को सिटी मजिस्ट्रेट मस्जिद आए और मेडिकल कॉलेज में जांच करवाने के बाद सभी को पुलिस की मौजूदगी में फिर मस्जिद में छोड़ गए थे।"
मौलाना ने कहा कि इसके बाद 18 अप्रैल से तो हद ही हो गई। स्वास्थ्य और पुलिस के अधिकारी रोजाना अपने साथ ले जाते और फिर कुछ घंटों के बाद मस्जिद में छोड़ जाते। मंगलवार को भी ऐसा ही हुआ, सभी को सुबह मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, फिर करीब छह बजे शाम को मस्जिद में छोड़ गए। लेकिन करीब एक घंटे बाद सात बजे फिर शहर कोतवाल मस्जिद आए और कहा कि अब इन्हें ले जाना पड़ेगा।"
मौलाना ने कहा, "कोतवाल साहब सभी को एंबुलेंस से ले गए हैं। इनमें 17 लोगों को कृषि विश्वविद्यालय में जबकि एक व्यक्ति को दमा और उच्च रक्तचाप की शिकायत पर मेडिकल कॉलेज में रखा गया है।"
वहीं, बांदा पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडिल से एक ट्वीट कर उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें कुछ समाचार चैनलों ने जमातियों की गिरफ्तारी होना बताया था। ट्वीट के जरिए कहा गया है, "मामले की जांच सीओ सिटी को सौंपी गई है।"
मगर सबसे बड़ा सवाल यह कि 28 दिनों से मस्जिद में अलग रह रहे व्यक्तियों को निकालकर दूसरी जगह रखने की जरूरत क्यों पड़ी।
--आईएएनएस
उन्होंने प्रशासन पर परेशान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पहली बार 31 मार्च को सिटी मजिस्ट्रेट मस्जिद आए और मेडिकल कॉलेज में जांच करवाने के बाद सभी को पुलिस की मौजूदगी में फिर मस्जिद में छोड़ गए थे।"
मौलाना ने कहा कि इसके बाद 18 अप्रैल से तो हद ही हो गई। स्वास्थ्य और पुलिस के अधिकारी रोजाना अपने साथ ले जाते और फिर कुछ घंटों के बाद मस्जिद में छोड़ जाते। मंगलवार को भी ऐसा ही हुआ, सभी को सुबह मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, फिर करीब छह बजे शाम को मस्जिद में छोड़ गए। लेकिन करीब एक घंटे बाद सात बजे फिर शहर कोतवाल मस्जिद आए और कहा कि अब इन्हें ले जाना पड़ेगा।"
मौलाना ने कहा, "कोतवाल साहब सभी को एंबुलेंस से ले गए हैं। इनमें 17 लोगों को कृषि विश्वविद्यालय में जबकि एक व्यक्ति को दमा और उच्च रक्तचाप की शिकायत पर मेडिकल कॉलेज में रखा गया है।"
वहीं, बांदा पुलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडिल से एक ट्वीट कर उन खबरों का खंडन किया है, जिसमें कुछ समाचार चैनलों ने जमातियों की गिरफ्तारी होना बताया था। ट्वीट के जरिए कहा गया है, "मामले की जांच सीओ सिटी को सौंपी गई है।"
मगर सबसे बड़ा सवाल यह कि 28 दिनों से मस्जिद में अलग रह रहे व्यक्तियों को निकालकर दूसरी जगह रखने की जरूरत क्यों पड़ी।
--आईएएनएस
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