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उप्र : बांदा में जल संरक्षण के लिए अधिकारियों ने किया पैदल मार्च
बांदा। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के बांदा जिले में छाए पेयजल संकट के मद्देनजर प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण के लिए शनिवार को यहां अधिकारियों ने राज्य सरकार के चीनी एवं गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव की अगुआई में पांच किलोमीटर तक पैदल मार्च किया। जिलाधिकारी हीरालाल ने बताया, "बांदा जिले में छाए पेयजल संकट को देखते हुए प्राकृतिक जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने लिए अधिकारियों और आम जनमानस के पैदल मार्च को शनिवार सुबह सात बजे छाबी तालाब से प्रमुख सचिव ने झंडी दिखाकर रवाना किया। यह मार्च शहर के विभिन्न मुहल्लों से होते हुए पांच किलोमीटर की दूरी तय कर प्रागी तालाब में समाप्त हुआ है।"
हीरालाल ने बताया, "इस पैदल मार्च की अगुआई खुद चीनी एवं गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने की। पैदल मार्च का उद्देश्य प्राकृतिक जल स्रोतों (कुंआ, तालाब) को पुनर्जीवित करने के लिए लोगों में जागरूकता लाना था।"
मार्च में लगभग ढाई हजार लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें जिले के सभी विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और विद्यार्थी शामिल थे। मार्च में शामिल लोग सिर पर 'कुंआ तालाब जियाओ' अभियान की नीली टोपी पहने हुए थे। मार्च जिस रास्ते से गुजरा, लोग उसके साथ जुड़ते गए।
बाद में प्रमुख सचिव भूसरेड्डी ने मीडिया से कहा, "बुंदेलखंड में पानी की कमी नहीं है। लोग पानी का दुरुपयोग न करें तो पानी हर व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है।"
उन्होंने कहा, "इस तरह की पहल समूचे बुंदेलखंड में होनी चाहिए। प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण बहुत जरूरी है।"
जल संरक्षण के लिए निकाला गया यह मार्च जिला प्रशासन द्वारा शुरू किए गए 'कुंआ, तालाब जियाओ' अभियान का हिस्सा था।
उल्लेखनीय है कि बांदा शहर सहित आसपास के करीब 50 गांवों में अप्रैल माह से भीषण पेयजल संकट छाया हुआ है। प्रशासन ने 45 किलोमीटर दूर तक केन नदी की जलधारा में पुलिस का पहरा लगा रखा है और जिलाधिकारी के निर्देश में अधिकारी-कर्मचारी 'कुआं-तालाब जियाओ' अभियान के तहत मृत हो चुके कुंओं और तालाबों की पूजा कर रहे हैं।
--आईएएनएस
हीरालाल ने बताया, "इस पैदल मार्च की अगुआई खुद चीनी एवं गन्ना विभाग के प्रमुख सचिव संजय आर. भूसरेड्डी ने की। पैदल मार्च का उद्देश्य प्राकृतिक जल स्रोतों (कुंआ, तालाब) को पुनर्जीवित करने के लिए लोगों में जागरूकता लाना था।"
मार्च में लगभग ढाई हजार लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें जिले के सभी विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और विद्यार्थी शामिल थे। मार्च में शामिल लोग सिर पर 'कुंआ तालाब जियाओ' अभियान की नीली टोपी पहने हुए थे। मार्च जिस रास्ते से गुजरा, लोग उसके साथ जुड़ते गए।
बाद में प्रमुख सचिव भूसरेड्डी ने मीडिया से कहा, "बुंदेलखंड में पानी की कमी नहीं है। लोग पानी का दुरुपयोग न करें तो पानी हर व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में मिल सकता है।"
उन्होंने कहा, "इस तरह की पहल समूचे बुंदेलखंड में होनी चाहिए। प्राकृतिक जल स्रोतों का संरक्षण बहुत जरूरी है।"
जल संरक्षण के लिए निकाला गया यह मार्च जिला प्रशासन द्वारा शुरू किए गए 'कुंआ, तालाब जियाओ' अभियान का हिस्सा था।
उल्लेखनीय है कि बांदा शहर सहित आसपास के करीब 50 गांवों में अप्रैल माह से भीषण पेयजल संकट छाया हुआ है। प्रशासन ने 45 किलोमीटर दूर तक केन नदी की जलधारा में पुलिस का पहरा लगा रखा है और जिलाधिकारी के निर्देश में अधिकारी-कर्मचारी 'कुआं-तालाब जियाओ' अभियान के तहत मृत हो चुके कुंओं और तालाबों की पूजा कर रहे हैं।
--आईएएनएस
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