Advertisement
यूपी : छात्रा की हत्या मामले में प्रिंसिपल के खिलाफ चार्जशीट दायर

मैनपुरी। विशेष जांच दल (एसआईटी) छात्रा की हत्या मामले में पूर्व प्रधानाचार्य के खिलाफ 2,000 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया है। विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) अनूप यादव ने कहा कि अतिरिक्त जिला न्यायाधीश (पोक्सो) की अदालत में पूर्व प्रिंसिपल सुषमा सागर के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना), 201 और पोक्सो अधिनियम के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है।
हालांकि आरोप पत्र का विवरण तत्काल ज्ञात नहीं था, विशेष लोक अभियोजक कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि एसआईटी ने प्रिंसिपल के कार्यालय में पीड़िता द्वारा लिखे गए कुछ पत्रों को स्कूल में समलैंगिकता के उदाहरणों का उल्लेख करते हुए पाया था।
सागर द्वारा पत्र न तो पुलिस को सौंपे गए और न ही अदालत को। पीड़ित परिवार को भी उनके बारे में अंधेरे में रखा गया था।
लड़की के पिता ने कहा था कि जहां पूर्व प्रिंसिपल और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वहीं प्राथमिकी में नामजद लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया।
पिछले साल सितंबर में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार और यूपी पुलिस को एक महीने के भीतर मामले की प्रगति रिपोर्ट देने के निर्देश के बाद एक नई छह सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था।
यह तब हुआ जब पीड़िता के परिवार ने अगस्त 2020 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद सागर, हॉस्टल वार्डन और एक साथी छात्रा के खिलाफ पोक्सो अधिनियम और आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 302 (हत्या) के तहत परिवार की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
दिसंबर में, राज्य सरकार ने सभी संदिग्धों की डीएनए विश्लेषण रिपोर्ट अदालत में पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि उनमें से कोई भी पीड़ित के शरीर पर पाए गए नमूनों से मेल नहीं खाता है।
--आईएएनएस
हालांकि आरोप पत्र का विवरण तत्काल ज्ञात नहीं था, विशेष लोक अभियोजक कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि एसआईटी ने प्रिंसिपल के कार्यालय में पीड़िता द्वारा लिखे गए कुछ पत्रों को स्कूल में समलैंगिकता के उदाहरणों का उल्लेख करते हुए पाया था।
सागर द्वारा पत्र न तो पुलिस को सौंपे गए और न ही अदालत को। पीड़ित परिवार को भी उनके बारे में अंधेरे में रखा गया था।
लड़की के पिता ने कहा था कि जहां पूर्व प्रिंसिपल और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, वहीं प्राथमिकी में नामजद लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया।
पिछले साल सितंबर में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार और यूपी पुलिस को एक महीने के भीतर मामले की प्रगति रिपोर्ट देने के निर्देश के बाद एक नई छह सदस्यीय एसआईटी का गठन किया गया था।
यह तब हुआ जब पीड़िता के परिवार ने अगस्त 2020 में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद सागर, हॉस्टल वार्डन और एक साथी छात्रा के खिलाफ पोक्सो अधिनियम और आईपीसी की धारा 376 (बलात्कार) और 302 (हत्या) के तहत परिवार की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
दिसंबर में, राज्य सरकार ने सभी संदिग्धों की डीएनए विश्लेषण रिपोर्ट अदालत में पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि उनमें से कोई भी पीड़ित के शरीर पर पाए गए नमूनों से मेल नहीं खाता है।
--आईएएनएस
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
मैनपुरी
उत्तर प्रदेश से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement
Traffic
Features
