यूडी टैक्स डिमांड नोटिस भी कारण बताओ नोटिस के दायरे में ही आता है : हाईकोर्ट

- मुकेश शर्मा -
भरतपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी भी किस्म का डिमांड नोटिस कारण बताओ नोटिस के दायरे में आता है। इसलिए सुनवाई का अवसर देकर ही टैक्स की देनदारी कानूनी प्रावधानों के अनुसार ही तय की जानी चाहिए। जस्टिस अवनीश झींगन व जस्टिस शुभा मेहता की बैंच ने यह आदेश इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन की याचिकाओं का निपटारा करते हुए दिए।
इन याचिकाओं में तीनों कंपनियों ने भरतपुर नगर निगम की ओर से 4 जनवरी 2023, 11 फरवरी 2023, 21 मार्च 2023 और 25 मई 2023 को जारी यूडी टैक्स डिमांड नोटिसों को चुनौती दी थी। इन कंपनियों का कहना था कि उक्त डिमांड नोटिस उन्हें टैक्स की देनदारी का बिना सही आकलन किए और सुनवाई का अवसर दिए बिना ही जारी किए गए हैं। ये नोटिस हाईकोर्ट की ओर से साल 2023 में अशोक अरोडा बनाम राजस्थान सरकार व अन्य के मामले में तय किए कानूनी मापदंड के विपरीत हैं।
सुनवाई के बाद अब इस मामले में हाईकोर्ट तय किया है कि डिमांड नोटिस पर कारण बताओ नोटिस के दायरे में मानकर विचार किया जाए और सुनवाई का अवसर देकर ही कानूनी प्रावधानों के तहत यूडी टैक्स देनदारी तय की जाए। अदालत ने उक्त फैसले के प्रकाश में तीनों कंपनियों की याचिकाओं का निपटारा करते हुए कंपनियों के प्रतिनिधियों को भरतपुर नगर निगम आयुक्त के समक्ष 27 फरवरी को सुबह 11 बजे उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं।
अब भरतपुर नगर निगम नियमानुसार सुनवाई कर सभी तेल कंपनियों के 4 करोड़ रुपए से भी अधिक बकाया राशि पर सुनवाई कर निर्णय लेगा। बता दें कि भरतपुर राज्य का पहला ऐसा नगर निगम है जहां जीआईएस आधारित टैक्स प्रणाली लागू है, पहले केवल 70 लाख से 1 करोड़ की राशि का ही संग्रहण होता था, जो बढ़कर अब प्रति वर्ष 5 करोड़ रुपए से भी अधिक हो गया है। इसका मूल कारण पारदर्शिता प्रणाली को अपनाया जाना है, जिसकी प्रशंसा जिला प्रशासन ने भी समय समय पर की है।
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