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बिहार के चुनावी रण में इस बार कई 'योद्धाओं' के कटेंगे टिकट

राजद सूत्रों का यह भी कहना है कि पाला बदलकर आने वालों को टिकट मिल जाए, ऐसा नहीं है। पार्टी प्रमुख लालू यादव और तेजस्वी यादव ने स्पष्ट संकेत दे दिए हैं कि वफादारी और जनसंपर्क को टिकट वितरण का प्रमुख आधार बनाया जाएगा। प्रत्येक सीट पर स्थानीय समीकरणों की समीक्षा कर उम्मीदवारों के कार्यों के आधार पर टिकट तय किया जाएगा।
इधर, भाजपा और जदयू में भी कई विधायकों के टिकट पर तलवार लटक रही है। जदयू और भाजपा इस चुनाव में टिकट वितरण के लिए 'एंटी-इनकंबेंसी' को प्रमुखता से ले रही हैं। बिना परफॉर्मेंस वाले विधायकों और क्षेत्र में नाराजगी वाले विधायकों का पत्ता साफ होना तय माना जा रहा है। कई सीटों पर दोनों पार्टियां नए चेहरों को मौका दे सकती हैं।
भाजपा की बुधवार को हुई चुनाव समिति की बैठक के बाद मिली जानकारी के मुताबिक, पार्टी इस बार चुनाव में अपने एक तिहाई से ज्यादा विधायकों के टिकट काट सकती है। बताया गया कि इन विधायकों के टिकट कटने के पीछे जनता की नाराजगी, एंटी-इनकंबेंसी, अधिक उम्र, पार्टी और सहयोगी दलों के नेताओं का विरोध व करप्शन के आरोप जैसे मुद्दों पर विचार किया गया है।
वैसे, अभी राजनीतिक दलों के कार्यालयों में टिकट मांगने वालों की बड़ी भीड़ जुट रही है और वे टिकट को लेकर जुगाड़ लगा रहे हैं। वैसे यह तय है कि पहले गठबंधन में सीट बंटवारे के बाद ही उम्मीदवारों को लेकर तस्वीर साफ होगी।
--आईएएनएस
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