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नीतीश के 'मिशन विपक्ष' की राह आसान नहीं !, आखिर क्यों, यहां पढ़ें

पटना । बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने
की मुहिम में जुटे हैं। वैसे, कहा यह भी जा रहा है कि नीतीश की राह इतनी
आसान नहीं है।
नीतीश कुमार बुधवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात की।
इस मुलाकात के बाद नीतीश कुमार का कहना है ज्यादा से ज्यादा विपक्षी दलों को एक साथ लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अधिक से अधिक राजनीतिक दलों तक पहुंचेंगे और एक साथ आगे बढ़ेंगे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह विचारधाराओं की लड़ाई है और यह 2024 की लड़ाई की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
इससे पहले मंगलवार को दिल्ली पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनकी बेटी और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती के सरकारी आवास पर मुलाकात की थी।
वैसे, विपक्षी दलों में एका को लेकर नीतीश बहुत ही उत्साहित और आशान्वित हों, लेकिन उनकी यह राह इतनी आसान नहीं कही जा रही है।
नीतीश बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भी कई विपक्षी दलों के नेताओं से मिल चुके हैं, लेकिन उसका बहुत उत्साह जनक परिणाम नहीं मिला था। नीतीश एक बार फिर से दिल्ली पहुंचे हैं।
इधर, कहा जा रहा है कि करीब-करीब सभी दल के कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। दीगर बात है कि नीतीश कुमार पीएम की दौड़ से खुद को बाहर बता रहे हैं।
इस बीच, लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान कहते हैं कि इससे पहले भी विपक्ष एकजुट होने का प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वर्ष 2014 में और 2019 में इसके प्रयास किए गए थे और अब फिर 2024 के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष में नीतीश कुमार से कई बड़े नेता है और कई बड़े दल हैं ऐसे में कोई क्यों 40 विधायकों वाली पार्टी के नेता को अपना नेता मानेगा। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि नीतीश के लिए यह असम्भव है।
इधर, भाजपा के एक नेता की मानें तो राहुल गांधी, शरद पवार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव सहित कई नेता पीएम बनने की दौड़ में हैं, इसलिए एकजुटता का प्रश्न ही नहीं उठता है।
--आईएएनएस
नीतीश कुमार बुधवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से दिल्ली में मुलाकात की।
इस मुलाकात के बाद नीतीश कुमार का कहना है ज्यादा से ज्यादा विपक्षी दलों को एक साथ लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम अधिक से अधिक राजनीतिक दलों तक पहुंचेंगे और एक साथ आगे बढ़ेंगे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह विचारधाराओं की लड़ाई है और यह 2024 की लड़ाई की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
इससे पहले मंगलवार को दिल्ली पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनकी बेटी और राज्यसभा सदस्य मीसा भारती के सरकारी आवास पर मुलाकात की थी।
वैसे, विपक्षी दलों में एका को लेकर नीतीश बहुत ही उत्साहित और आशान्वित हों, लेकिन उनकी यह राह इतनी आसान नहीं कही जा रही है।
नीतीश बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद भी कई विपक्षी दलों के नेताओं से मिल चुके हैं, लेकिन उसका बहुत उत्साह जनक परिणाम नहीं मिला था। नीतीश एक बार फिर से दिल्ली पहुंचे हैं।
इधर, कहा जा रहा है कि करीब-करीब सभी दल के कार्यकर्ता अपनी ही पार्टी के नेता को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। दीगर बात है कि नीतीश कुमार पीएम की दौड़ से खुद को बाहर बता रहे हैं।
इस बीच, लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान कहते हैं कि इससे पहले भी विपक्ष एकजुट होने का प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वर्ष 2014 में और 2019 में इसके प्रयास किए गए थे और अब फिर 2024 के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विपक्ष में नीतीश कुमार से कई बड़े नेता है और कई बड़े दल हैं ऐसे में कोई क्यों 40 विधायकों वाली पार्टी के नेता को अपना नेता मानेगा। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि नीतीश के लिए यह असम्भव है।
इधर, भाजपा के एक नेता की मानें तो राहुल गांधी, शरद पवार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव सहित कई नेता पीएम बनने की दौड़ में हैं, इसलिए एकजुटता का प्रश्न ही नहीं उठता है।
--आईएएनएस
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