The political bitterness of the syrup: Arrests in MP over children deaths, Rajasthan minister gives clean chit to company-m.khaskhabar.com
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Nov 8, 2025 10:00 am
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सिरप की सियासी कड़वाहट : बच्चों की मौत पर MP में गिरफ्तारी, राजस्थान के मंत्री ने कंपनी को दी क्लीनचिट

khaskhabar.com: गुरुवार, 09 अक्टूबर 2025 2:43 PM (IST)
सिरप की सियासी कड़वाहट : बच्चों की मौत पर MP में गिरफ्तारी, राजस्थान के मंत्री ने कंपनी को दी क्लीनचिट
जयपुर। कफ सिरप में जहरीले केमिकल से 24 मासूमों की मौत के मामले में जहां मध्य प्रदेश पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कंपनी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं पड़ोसी राज्य राजस्थान की भाजपा सरकार इस गंभीर मामले में कंपनी को क्लीनचिट देती दिख रही है। यह विरोधाभासी कार्रवाई अब राजनीतिक तूल पकड़ चुकी है, जिसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान सरकार की कड़ी निंदा की है। बोले- राजस्थान में सरकार नाम की कोई चीज है ही नहीं। बता दें कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिले में 'कोल्ड्रिफ' कफ सिरप पीने से 20 बच्चों की मौत हो गई थी। इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी के मालिक रंगनाथन को चेन्नई से गिरफ्तार कर लिया है। जानकारी सामने आई है कि रंगनाथन मासूमों की मौत के बाद से फरार था। जांच में यह खुलासा हुआ कि सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) की मात्रा तय सीमा से कई गुना ज्यादा थी, जिसके कारण बच्चों की किडनी फेल हो गई। घातक लापरवाही के बाद, राज्य सरकार ने तुरंत श्रीसन फार्मा के सभी उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके अलावा, सिरप लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी को भी गिरफ्तार किया गया है, जिसकी जमानत याचिका अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एडीजे) ने खारिज कर दी है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने एसआईटी जांच की पुष्टि करते हुए कहा कि कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।
एक ओर जहां मध्य प्रदेश और अन्य राज्य कठोरतम कार्रवाई कर रहे हैं, वहीं राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि बच्चों की मौत कफ सिरप की वजह से नहीं हुई है। मंत्री का यह बयान कंपनी को क्लीनचिट देने जैसा है, जबकि यह सिरप देशभर में चिंता का विषय बना हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि राजस्थान में 'सरकार नाम की कोई चीज नहीं है'। गहलोत ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री की बात तो छोड़िए, एमएलए और एमपी तक की सुनवाई नहीं हो रही है, ऐसे में जनता को राहत कैसे मिलेगी? उन्होंने कहा कि जनता में हाहाकार मचा हुआ है, ब्यूरोक्रेसी किसी की सुन नहीं रही है, जिससे प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान लग गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि एक ही दवा कंपनी पर दो राज्यों की सरकारों का यह अलग-अलग रुख, राजस्थान सरकार की स्वास्थ्य और प्रशासनिक गंभीरता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

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