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नए संसद भवन का उद्घाटन भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने शुभकामना संदेश में नए संसद भवन के उद्घाटन को भारत की लोकतांत्रिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए कहा कि यह महान अवसर भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज रहेगा। राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद के नए भवन का उद्घाटन करने पर संतोष जाहिर करते हुए यह भी कहा, "हमारे संविधान के शिल्पकारों ने एक ऐसे राष्ट्र की परिकल्पना की थी, जिसका स्वरूप, लोकतांत्रिक पद्धति से चुने गए प्रतिनिधियों से बनी संसद के विधायी विवेक के आधार पर निर्मित होगा। इसलिए उन्हें इस बात पर गहरा संतोष है कि संसद के विश्वास के प्रतीक, प्रधानमंत्री इस भवन का उद्घाटन कर रहे हैं।"
नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के दूसरे चरण के दौरान राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह शुभकामना संदेश कार्यक्रम में पढ़ कर सुनाया।
राष्ट्रपति ने अपने शुभकामना संदेश में कहा, संसद के नए भवन के उद्घाटन का यह महान अवसर भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज रहेगा। इस अवसर पर यह संदेश प्रेषित करते हुए मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। नए संसद भवन का उद्घाटन, हमारी विशाल और विविधतापूर्ण भारत-भूमि के सबसे उत्तरी छोर से दक्षिणी सिरे तक पूर्वी-सीमा पश्चिमी तटरेखा तक रहने वाले सभी देशवासियों के लिए गौरव व अतुलनीय आनंद का अवसर है।
उन्होंने कहा, भारत की संसद का, हमारी सामूहिक चेतना में एक विशिष्ट स्थान है। संसद हमारी समृद्ध लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रकाश स्तंभ है। लोकतांत्रिक विमर्श के प्रति श्रद्धाभाव हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं का मूल सत्व है, जिसके आधार पर स्वस्थ वाद-विवाद, अर्थपूर्ण संवाद तथा विचारों के आदान-प्रदान की सुचारु पद्धतियां सदियों से हमारे देश में फलती-फूलती रही हैं। अपनी सहज लोकतांत्रिक जन भावना के बल पर हमारे देश ने जन भागीदारी का निरंतर विस्तार किया है और समाज के सबसे गरीब वर्गो को सशक्त बनाया है। साथ ही, एक ऐसे वातावरण का सृजन किया गया है, जो सभी व्यक्तियों को, चाहे उनके जीवन की शुरुआत, अभावों और चुनौतियों के बीच क्यों न हुई हो, विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व के शिखर तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।
राष्ट्रपति ने आगे कहा, "बीते सात दशकों के दौरान, हमारी संसद अनेक परिवर्तनकारी विधायी प्रयासों की धुरी रही है। संसद ने ऐसे कई बदलाव किए हैं, जिनसे हमारे करोड़ों देशवासियों के जीवन को संवारना संभव हो सका है। नए संसद भवन का उद्घाटन, हमारी लोकतांत्रिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। 'आजादी का अमृत महोत्सव' के दौरान हो रहा यह महत्वपूर्ण आयोजन हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं के संरक्षण और विस्तार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का जीवंत प्रमाण है। यह हमारे देशवासियों की सामूहिक आशाओं व आकांक्षाओं से आलोकित उज्जवल भविष्य की दिशा में हमारे राष्ट्र को अग्रसर करने की ऊर्जा प्रदान करता है।"
उन्होंने आगे कहा, "इस विश्वास के साथ कि नए संसद भवन का अनावरण, हम सभी के बीच एकता और राष्ट्रीय गौरव की भावना को और अधिक मजबूत बनाएगा, मैं उन लोगों की हृदय से सराहना करती हूं, जिन्होंने हमारे महान लोकतंत्र के जीवंत प्रतीक, इस भवन का निर्माण कार्य सम्पन्न करने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम किया है। इनके अनथक प्रयासों की स्मृति, देशवासियों के मनो-मस्तिष्क में सदैव अंकित रहेगी। मेरी हार्दिक शुभकामना है कि नव-निर्मित संसद भवन, भारतीय लोकतंत्र की महान परम्पराओं और आदर्शो के अनुरूप नए प्रतिमान स्थापित करे।
--आईएएनएस
नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम के दूसरे चरण के दौरान राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यह शुभकामना संदेश कार्यक्रम में पढ़ कर सुनाया।
राष्ट्रपति ने अपने शुभकामना संदेश में कहा, संसद के नए भवन के उद्घाटन का यह महान अवसर भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज रहेगा। इस अवसर पर यह संदेश प्रेषित करते हुए मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है। नए संसद भवन का उद्घाटन, हमारी विशाल और विविधतापूर्ण भारत-भूमि के सबसे उत्तरी छोर से दक्षिणी सिरे तक पूर्वी-सीमा पश्चिमी तटरेखा तक रहने वाले सभी देशवासियों के लिए गौरव व अतुलनीय आनंद का अवसर है।
उन्होंने कहा, भारत की संसद का, हमारी सामूहिक चेतना में एक विशिष्ट स्थान है। संसद हमारी समृद्ध लोकतांत्रिक परंपराओं का प्रकाश स्तंभ है। लोकतांत्रिक विमर्श के प्रति श्रद्धाभाव हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक परंपराओं का मूल सत्व है, जिसके आधार पर स्वस्थ वाद-विवाद, अर्थपूर्ण संवाद तथा विचारों के आदान-प्रदान की सुचारु पद्धतियां सदियों से हमारे देश में फलती-फूलती रही हैं। अपनी सहज लोकतांत्रिक जन भावना के बल पर हमारे देश ने जन भागीदारी का निरंतर विस्तार किया है और समाज के सबसे गरीब वर्गो को सशक्त बनाया है। साथ ही, एक ऐसे वातावरण का सृजन किया गया है, जो सभी व्यक्तियों को, चाहे उनके जीवन की शुरुआत, अभावों और चुनौतियों के बीच क्यों न हुई हो, विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व के शिखर तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।
राष्ट्रपति ने आगे कहा, "बीते सात दशकों के दौरान, हमारी संसद अनेक परिवर्तनकारी विधायी प्रयासों की धुरी रही है। संसद ने ऐसे कई बदलाव किए हैं, जिनसे हमारे करोड़ों देशवासियों के जीवन को संवारना संभव हो सका है। नए संसद भवन का उद्घाटन, हमारी लोकतांत्रिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। 'आजादी का अमृत महोत्सव' के दौरान हो रहा यह महत्वपूर्ण आयोजन हमारी लोकतांत्रिक परंपराओं के संरक्षण और विस्तार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का जीवंत प्रमाण है। यह हमारे देशवासियों की सामूहिक आशाओं व आकांक्षाओं से आलोकित उज्जवल भविष्य की दिशा में हमारे राष्ट्र को अग्रसर करने की ऊर्जा प्रदान करता है।"
उन्होंने आगे कहा, "इस विश्वास के साथ कि नए संसद भवन का अनावरण, हम सभी के बीच एकता और राष्ट्रीय गौरव की भावना को और अधिक मजबूत बनाएगा, मैं उन लोगों की हृदय से सराहना करती हूं, जिन्होंने हमारे महान लोकतंत्र के जीवंत प्रतीक, इस भवन का निर्माण कार्य सम्पन्न करने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम किया है। इनके अनथक प्रयासों की स्मृति, देशवासियों के मनो-मस्तिष्क में सदैव अंकित रहेगी। मेरी हार्दिक शुभकामना है कि नव-निर्मित संसद भवन, भारतीय लोकतंत्र की महान परम्पराओं और आदर्शो के अनुरूप नए प्रतिमान स्थापित करे।
--आईएएनएस
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